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________________ १७, ज्ञान अज्ञान ११, योग १२, उपयोग १३, वर्ण १४, उस्वास १५, आहार १६, अत्ति १७, क्रिया १८, बंध १९ संज्ञा २०, कषाय २५, वेदबन्ध २२, संज्ञी २३, इन्दीय २४, अनुबंध २५, संबाह २६, आहार २७, स्थिति २८, समुद्घात २९, चवन ३०, वेदना १, मूलोत्यात् ३२ इति। यह बत्तीसवार उत्पल कमलपर उतारे जावेगे द्रव्यानु योग में प्रवेश करने वालों के लिये यह विषय बहुत ही उपयोगी है। ___ राजमहीनगर के गुणशिला उद्यान में भगवान् श्री वीर प्रभु पधारे उस बखत श्री गौतमस्वामी ने प्रश्न किया है भगवान् ! उत्पल कमल के पत्ते में एक जीव है या अनेक १ गौतम पसे में एक जीव है परन्तु उसकी निश्राय में अनेक नीव उत्पन्न होते हैं याने पत्ते की डंडी में मूलगा एक जीव रहता है शेष उसकी निश्राय से पते में असंख्यात जीव हैं । (१) उत्पात्-उत्पल कमलमे नीव चौहत्तर जगह से आके उत्पन्न होते हैं यथा ४६ तिर्य च ( यहां वनास्पतिके चार ही भेद माना है ) ३ मनुष्य (पर्याप्ता, अपर्याप्ता, समुत्सम ) २५ देवता (भुवनपति १०, व्यंतर ८, ज्योतिषी ५, पहला दूसरा देवलोक) इन ७४ जगह से आके जीव उत्पन्न होते है. (२) परिमाण- एक समय में १-२-३ यावत् संख्याते असंख्याते जीव उत्पन्न होते है। (३) अपहारण-उस एक पत्ते के जीवों को एकेक समय एकेक जीवको निकले तो असंख्याते काल याने असं० उत्सर्पणी अवसर्पिणी व्यतीत होजाय इन जीवोंको किसी ने निकाला नहीं निकालेगा नहीं परंतु ज्ञानियोंने अपने ज्ञान से देखा है। (४) अवगाहना-उत्पल कमल की अवगाहना ज. अंगुल के भसंख्यातमा भाग उ० एक हजार योजन कुछ अधिक।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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