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________________ १११ स्थानापेक्षा न० एक समय उ० असंख्याता काल क्योंकि दो आदि प्रदेश में जाकर रहे तो असं० काल तक रहे । दो प्रदेशी स्कन्ध की पृच्छा ? गौतम ! कम्पमान का स्वस्थान अन्तर ज ० एक समय उ० असं काल परस्थानापेक्षा न० एक समय उ० अनन्त काल क्योंकि जो परमाणु अलग हुवा है वही परमाणु अनन्त काल के पीछे अवश्य आकर मिलता है । उत्कृष्ट अनन्त काल तक अलग रहे और अकम्प की स्वस्थानापेक्षा ज० एक समय उ० आवलीका के असं० भाग परस्थानापेक्षा न० एक समय उ० अनन्त काल एवं तीन, चार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध समझ लेना । घणा दो प्रदेशी तीन प्रदेशी यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध का अन्तर नहीं क्योंकि बहुवचन होने से कम्पायमान और अकम्प सास्वते होते है । ( कम्पायमान् तथा अकम्प का अल्पा ० ) ( १ ) सब से स्तोक कम्पायमान परमाणु. (२) अकम्पमान परमाणु असंख्यात गुणा. एवं दो प्रदेशी यावत असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध कम्पायमान अकम्प असंख्यात गुणे. (१) सबसे स्तोक अकम्पायमान अनन्त प्रदेशी स्कन्ध । : ( २ ) कम्पायमान अनन्त प्रदेशी स्कन्ध अनन्त गुणे । ( परमाणु पु० से अनं० प्रदेशी स्कन्ध की कम्पाकम्प आश्रयद्रव्य, प्रदेश और द्रव्यप्रदेश की अल्पा० । ) ( १ ) सबसे स्तोक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध का अकम्प द्रव्य । ( २ ) अनन्त प्रदेशी कम्पायमान द्रव्य अनन्त गुणे । (३) परमाणु पु० कम्पायमान द्रव्य अनंत गुणे ।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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