SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६३ थोकडा नं० ८७ [श्री भगवती सूत्र श० २५-३० ३.] ( श्रेणी ) आकाश प्रदेशकी पंक्तिको श्रेणी कहते है । गौतमस्वामी anaraसे प्रश्न करते है कि हे भगवान्! समुचय आकाश प्रदे शकी द्रव्यापेक्षा श्रेणी क्या संख्याती, असंख्याती, या अनन्ती है ? गौतम ! संख्याती, असंख्याती नहीं किन्तु अनन्ती है। इसी तरह पूर्वादि छे दिशीकी भी कह देना । एवं समुचयवत् ratararaat भी श्रेणी समझना ( अनन्ती है ) । व्यापेक्षा लोकाकाशके श्रेणीकी पृच्छा ? गौतम । संख्याती नहीं, अनम्ती नहीं किन्तु असंख्याती है । इसी तरह छे दिशी भी समझना । प्रदेशापेक्षा समुचय आकाश प्रदेशके श्रेणीकी पृच्छा ! गौतम ! संख्याती असंख्याती नहीं किन्तु अनन्ती है, पवं पूर्वादि से दिशीकी भी कहना । प्रदेशापेक्षा लोकाकाशके श्रेणीकी पृच्छा ? गौतम ! स्यात् संख्याती, स्यात् असंख्याती है परंतु अनन्ती नहीं, एवं पूर्वाहि चार दिशी कहना, परंतु उंची नीची केवल असंख्याती है। प्रदेशापेक्षा आलोकाकाश के श्रेणीकी पृच्छा ! गौतम, स्यात् संख्याती, असंख्याती अनन्ती है । परंतु पूर्वादि चार दिशीमें frent अनन्ती है, उंची नीचीमें तीनों बोल पावे ।# * लोकालोकमें स्यात् संख्याती श्रेणी कहनेका कारण यह है कि लोकके न्त लोक और लोकका खूणा है वहांपर संख्यात्ता आकाश प्रदेश लोकालोककी अपेक्षा है इसी वास्ते संख्याती श्रेणी कही ।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy