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________________ प्रदेश में० गुणा० (११) आयतन प्रदेश सं० गु० (१२) अन्य स्थित प्रदेश असं० गुणा इति। सेवभंते सेवभते तमेव सच्चम् । थोकड़ा नं० ८३. [श्री भगवती सूत्र श० २५-उ० ३.] ( संस्थान.) संस्थान पांच प्रकार के होते हैं-यथा परिमंडल व प्रस. पौरस. आयतन परिमंडल संस्थान क्या संख्याते, असंख्याते 'पा अमंते है ? संख्याते, असंख्याते नहीं किन्तु अनन्ते है एवं बापत् आयतन संस्थान भी कहना। रत्नप्रभा नारकी में परिमंडल संस्थान अनन्ते है, एवं यावत् मायतन संस्थान भी अनन्ते है, इसी तरह ७ नारकी, १२ देवलोक, ९ प्रेषेक, ५ अनुत्तर थैमान और सिद्धशिला, पृथ्वी एवं ३५ पोलों में पांचों संस्थान अनन्ते अनन्ते है, पैंतीस को पांच गुणा करने से १७५ भागा हुवा।। एक यवमध्य परिमंडल संस्थानमे दूसरे परिमंडल संस्थान कितने है ? अनन्ते है एवं यावत् आयतन संस्थान भी अनन्त कहना, इसी तरह एक यवमध्य परिमंडल की माफिक शेष पहादि चारों संस्थानों की व्याख्या करनी एक संस्थान में दूसरे पांचो संस्थान अनन्ते है इसलिये पाँचको पांचका गुण करनेसे २५ पोल हुवे, पूर्ववत् नरकादि ३५बोलोंमे २५-२५ बोल पावे एवं कुल ८७५ भांगा हुवा और १७५पहिलीका सब मिलके १०५ भांगा हुवा। सेवंभंते सेवंभंते सच्चम् ।
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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