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________________ ७६ थोकडा नं० ७८ [ श्री भगवती सूत्र श० २५-ॐ० १ ]. जीवोंके योगों की तरतमता देखने के लिये यह थोकडा खूब दीर्घदृष्टिले विचार करने योग्य है । प्रथम समय के उत्पन्न हुवे दो नारकी के नैरीया क्या सम योग वाले है या विषम योगषाले है ? स्यात् सम योग वाले है स्यात् विषम योग वाले है। क्योंकि प्रथम समय के उत्पन्न हुवे नारकी के नेरीयों के योग आहारीक से अणाहारीक और अणाहारीक से आहारीक के परस्पर स्यात् न्यून है, स्यात् अधिक है और स्यात् बराबर भी है । यद्यपि न्युन हो तो असंख्यातभाग, संख्यात भाग, संख्यातगुण, असंख्यातगुण न्यून हो सकते है और अगर अधिक हो तो इसी तरह असंख्यातभाग, संख्यातभाग, संख्यातगुण, असंख्यातगुण, अधिक होते है और यदि बराबर हो तो दोनों के योग तुल्य होते है । यथा: ( १ ) एक समय का आहारीक है परन्तु मींडक गती करके आया है और दूसरा जीव भी एक समय का आहारीक है परन्तु ईलका गतो करके आया है। इन दोनों के योग असंख्यात भाग, न्यूनाधिक । ( २ ) एक जीव एक समय का आहारीक है और मींडक गती से आया है तथा दूसरा जीव दो समय का आहारीक है परन्तु एक का गती करके आया है। इन दोनों के योग संख्यात भाग न्यूनाधिक है । ( ३ ) एक जीव एक समय का आहारीक है और मींडक गवी
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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