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________________ लघुदंडक. (३७) विकलेंद्रिय, मनुष्य, तिर्यच ) को आवे और दशमें जावे ( दश पूर्ववत् ) सन्नि मनुष्य-चार गतिमेंसे आवे और चार गतिमें जावें अथवा सिद्ध गतिमें जावे, दडकाश्रयी २२ (तेउ, वायु, वर्जी में से आवे और २४ में जावे तथा सिद्ध में जावे.। ३० अकर्मभूमि युगलिया दोगति (मनुष्य तिर्यंच)मेंसे जावे एक गति (देवता) में जावे दंडकाश्रयी दो दंडकसे आवे और १३ दंडक (देवतामें) जावे. । ५६ अंतर द्वीप दो गतिमेंसे आवे एक गतिमें जावे. दंडकाश्रयी दो दंडकको आवे और ११ दंडक (१० भुवनपति, व्यंतर)में जावे. सिद्धीमे आगत एक मनुष्यकी गति नहीं दंडकाश्रयी मनु प्य दंडकसे आवे. इति. २५ प्राण-( अन्य स्थानसे लीखते है प्राण दश है (१) श्रोतेद्रिय बलप्राण (२) चक्ष इंद्रियबलप्राण (३) घ्राणेंद्रिय० (४) रसेन्द्रिय० (५) स्पर्शेन्द्रिय (६) मन० (७) वचन० (८) काय. (९) श्वासोश्वास० (१०) आयु० . नारकी देवता सन्नि मनुष्य, सन्नि तिर्यंच और युगलीआमें प्राण पावे दस. पांच स्थावर में प्राण पावे चार-(१) स्पर्श० (२) काय० (३) श्वासोश्वास. (४) आयु. बेइंद्रियमें प्राण पावे ६. (२) एर्ववत् १ रसें० २ वचन तेइंद्रियमें प्राण पावे ७. (६) पुर्ववत् १ घ्राणे० चौरेन्द्रियमें प्राण ८. (७) पूर्ववत् १ चक्षु० - असन्नि तिर्यच पंचेन्द्रिपमें प्राण पावे ९-८ पुर्ववत्, १ श्रोते. असन्नि मनुष्य में प्राण पावे ८ में कंइकउणा-५ इन्द्रिय० १ काय० १ आयु० १ श्वास अथवा उश्वास० सिद्धोंमें प्राण नही है । इति सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचं
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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