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________________ (३२) शीघ्रबोध भाग १ लो. दिशि, निर्व्याघाताश्रयी चोवीस दंडकका-जीवनियमा छ दिशिका आहार लेके । सिद्ध अनाहारिक. - (२०) उत्पात-(१) नारकी, १० भुवनपतियोंसे ८ वर्मा देवलोक तक, तथा चार स्थावर ( वनस्पति वर्ज के) तीन वि. कलेंद्रिय, सन्नी या असन्नी तिर्यंच, और असन्नी मनुष्य एक समयमें १-२-३ जाव संख्याता असंख्याता उपजे, वनस्पति एक समयमें १-२-३ जाव अनंता उपजे, नवमा देवलोकसे सर्वार्थसिद्ध तक तथा सन्नी मनुष्य और युगलीआ एक समय में १-२-३ जाव संख्याता उपजे, सिद्ध एक समय में १-२-३ जाव १०८ उपजे (२१) ठीइ-स्थिति यंत्रसे जाणना. जघन्य उत्कृष्ट १ ली नारकी ... ... १०००० वर्ष... ... १ सागरोपम १ सागरोपम ३ सागरोपम ३ जी , ... ... ३ , ... ... ७ ४ थी , ... ... ७ , ... ... १० ॥ ५ मी , ... ... १० , ... ... १७ , ६ ठो , ... ... १७ , ... ... २२ ॥ ७ मी , ... ... २२ , ... ... ३३ , देवता. x चमरेंद्र दक्षिण तर्फ १०००० वर्ष १ सागरोपम ___x दश भुवनपतिमें प्रथम असुरकुमारका दो इंद्र (१) चमरेंद्र (२) बलेंद्र. चमरेंद्रकी राजधानी मेरसे दक्षिण तरफ है और बलेंद्रकी राजधानी मेरुसे उत्तर तरफ है. ऐसे ही नागादि नवनिकायका इंद्र और राजधानी दक्षिण उत्तर समज लेना. नारकी mms, 布布5
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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