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________________ पैंतीस बोल. (२१) (३४)पाखंडमतके ३६३ भेद यथा-क्रियाबादीके १८० मत, अक्रियाबादी के ८४ मत, अज्ञानबादी के ६७ मत. विनयबादीके ३२ मत. (३५) श्रावकोंके २१ गुण-(१) क्षुद्र मतिवाला न हो याने गंभीर चितवाला हो (२) रूपवंत सर्वाग सुन्दरऽकार यांने श्रावकव्रतको साग पालने में सुन्दर हो (३) सौम्य (शांत) प्रकृतिवाला हो (४) लोक प्रियहो यांने हरेककार्य प्रशंसनियकरे (५) क्रूर न हो, (६) इहलोक परलोकके अपयशसे डरे [७] शाध्यता न करे धोखाबाजीकर दुसरोंकों ठगे नही (८) दुसरोंकि प्रार्थनाका भंग न करे (९) लौकीक लोकोत्तर लज्जा गुणसंयुक्त हो (१०) दयालु हो याने सर्वजीवोंका अच्छा वांच्छे ( ११) सम्यग्द्रष्टि हो याने त्तत्वविचारमें निपुण हो राग द्वेषका संग न करता हुवा मध्यस्थ भावमें रहै (१२) गुण गृहीपनारखे (१३) सत्य वातनिःशंकपणे कहै (१४ ) अपनेपरिवारको सुशील बनावे अपने अनुकुल रखे (१५) दीर्घदर्शी अच्छा कार्यभी खुब विचारके करे (१६) पक्षपात रहीत गुण अवगुणों को जानने वाला हो (१७) तत्वज्ञ वृद्ध सजनोंकि उपासना करे (१८) विनयवान हो यांने चतुर्विध संघकाविनयकरे (१९) कृतज्ञ अपने उपर कीसीने भी उपकार कीया हो उनोका उपकार भूले नही समयपाके प्रत्युपकारकरे (२०) संसारको असार समजे ममत्व भाव कम करे निर्लोभता रखे (२१) लब्धिलक्ष धर्मानुष्ठान धर्म व्यवहार करनेमें दक्ष हो याने संसारमें एक धर्म ही सारपदार्थ है सेवं भंते सेवं भंते तमेवसत्यम्. -HOk
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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