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________________ (१८) शीघबोध भाग १ लो. करे। (२) राजदंडे लोक भंडे एसा बडा जूठ बोले नही (३) राज दंडे लोक भंडे एसी बडी चोरी करे नही ( ४ ) परस्त्री गमनका त्याग करे स्वनिकि मर्यादा करे (५) परिग्रहका परिमाण करे (६) दिशाका परिमाण करे (७) द्रव्यादिका संक्षेप करे पन्नरे कर्मादान व्यापारका त्याग करे (८) अनर्थदंड पापोंका त्याग करे (९) सामायिक करे. (१०) देशावगासी व्रत करे. (११) पौषध व्रत करे. (१२) अतीथीसंविभाग अर्थात् मुनि महाराजोंको फासुक एषणीक अशनादि आहार देवे । (२३) मुनिमहाराजोंके पांच महाव्रत-(१) सर्वथा प्रकारे जीवहिंसा करे नहीं, करावे नहीं, करते हुवेको अच्छा समजे नहीं. मनसे, वचनसे, कायासे. (२) सर्वया प्रकारे झठ बोले नहीं, बोलावे नहीं, बोलतोको अच्छा समजे नहीं मनसे, वचनसे, कायासे. (३) सर्वथा प्रकारे चोरी करे नहीं, करावे नहीं करतेको अच्छा समजे नहीं मनसे, वचनसे, कायासे. (४) सर्वथा प्रकारे मैथुन सेवे नहीं, सेवावे नहीं, सेवतेको अच्छा समजे नहीं मनसे, वचनसे, कायासे. (५) सर्वथा प्रकारे परिग्रह रखे नहीं, रखावे नहीं, रखते हुवेको अच्छा समजे नहीं मनसे, वचनसे, कायासे । एवं रात्रीभोजन स्वयं करे नहीं, करावे नहीं, करते हुवेको अच्छा समजे नहीं मनसे, वचनसे, कायासे । (२४) प्रत्याख्यानके ४६ भांगा---अंक ११ भाग ९, एक करण-एक योगसे । करं नहीं मनसे करावू नहीं कायासे करुं नहीं वचनसे अनुमोदु नहीं मनसे करुं नहीं कायासे " , वचनसे करावू नहीं मनसे " , कायासे करावु नहीं वचनसे
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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