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________________ पैंतीस बोल. (१५) स्नासे रखना. सूचीकुश अर्थात् तृणमात्र अयत्नासे लेना रखना से आश्रय होता है। (छ) संवरतत्त्व-के २० भेद है यथा समकित संवर, अतप्रत्याख्यान संघर अप्रमादसंवर, अकषायसंवर, शुभयोगसंघर, जीपहिंस्या न करे, जुठ न बोले, चोरी न करे, मैथुन न सेवे, ए. रिग्रह न रखे, भोत्रेन्द्रिय अपने कब्जे में रखे, चक्षु इन्द्रिय घ्राणेन्द्रिय रसेन्द्रिय स्पर्शेन्द्रिय, मन, वचन, काया अपने कब्जेमे रखे,भंडोपकरण यत्नासे ग्रहन करे, यत्नासे रखे,एवं सूचीकुश अ. र्थात् तृणमात्र यत्नासे उठावे यत्नासे रखे एवं २० भेद संवरका है। (ज) निर्जरातत्त्व के १२ भेद है यथा अनसन, उणोदरी, वृत्तिसंक्षेप, रस (विगइ) का त्याग, कायाकलेस, प्रतिसंले. षना, प्रायश्चित्त, विनय, श्रेयावच्च, स्वध्याय, ध्यान, कायोत्सर्ग एवं १२ भेद. . (झ) बन्धतत्व के च्यार भेद है. प्रकृतिबन्ध, स्थिति बन्ध, अनुभागबन्ध, और प्रदेशबन्ध. (ट) मोचतत्व के च्यार भेद है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र और वीर्य. (१५) आत्मा आठ-द्रव्यात्मा, कषायात्मा, योगात्मा उपयोगात्मा, ज्ञानात्मा, दर्शनात्मा, चारित्रात्मा, वीर्यात्मा. (१६) दंडक २४-यथा सात नरकका एक दंड, सात नरकके नाम-धम्मा, वंशा, शीला, अञ्जना, रिठा, मघा, माधवती. इन सात नरकके गौत्र-रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, घालुकाप्रभा, पकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा, तमस्तमःप्रभा. एवं पहला दंडक । दश भुवनपतियोंके दश दंडक यथा-असुरकुमार, नागकुमार, सुवर्ण
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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