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________________ पैंतीस बोर. (१३) आयुष्यकर्म ( जैसे कारागृह) नामकर्म ( जैसे बीतारो ) गोत्रकर्म ( कुंभार ) अंतरायकर्म ( जैसे राजाका खजांची ) | (११) गुणस्थानक - चौदा - मिध्यात्वगुणस्थानक, सास्वादन गु० मिश्र गु० अव्रतसम्यग्दृष्टि गुरु देशव्रती श्रावककागु० प्रमत्त साधुका गुe अप्रमत्त साधु गु० निवृतिबादर गु० अनिवृतिवादर गु० सुक्ष्म संपराय गु० उपशान्त मोह गु० क्षीणमोह सयोगि गु० अयोगि 'गु' । (१२) पांच इन्द्रियोंका - २३ विषय श्रोत्रेन्द्रियकि तीन विषय - जीवशब्द. अजीवशब्द मिश्रशब्द, चक्षुरिन्द्रियकी पांच विषय. काला रंग, निलारंग, रातो ( लाल, पीलोरंग. सफेद रंग, घ्राणेन्द्रियकी दोय विषय, सुगन्ध, दुर्गन्ध, रसेन्द्रियकी पांच विषय तीक्त कटुक, कषाय आविल, मधुर, स्पर्शेन्द्रि यी आठ विषय. कर्कश, मृदुल, गुरु, लघु, सीत, उष्ण, स्निग्ध, रूक्ष. गु० (१३) मिथ्यात्वदश - जीवकों अजीव श्रद्धे वह मिथ्यात्व, अजबकों जीव श्रद्धे वह मिथ्यात्य, धर्मको अधर्म श्रद्धे, अधर्मकों धर्म श्रद्धे० साधुकों असाधु श्रद्धे; असाधुकों साधु श्रद्धे० अष्टकर्मोंसे मुक्त अमुक्त श्रद्धे० अष्टकम से अमुक्तक मुक्त श्रद्धे० संareके मार्गको मोक्षका मार्ग श्रद्धे० मोक्षके मार्गको संसारका मार्ग श्रद्धे वह मिथ्यात्व है विशेष मिथ्यात्व २५ प्रकारका देखो गुणस्थानद्वार | (१४) छोटी नवतस्वके ११५ बोल- विस्तार देखों व state | नववके नाम जीवतन्त्र, अजीवताव, पुन्यतव, पापतव, आश्रवतत्व, संवरतस्त्र, निर्जरातख बन्धतत्व, मोक्षतच्व । जिसमें ।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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