SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुरुपमाळा पुष्प नं २६ ॥ श्री रत्नप्रभसरिसद्गुरुभ्यो नमः ॥ अथ श्री शीघ्रबोध नाग पहेला. -*OKधर्मके सन्मुख होनेवालोमें १५ गुण होना चाहिये। १ नितीवान हो, कारण निती धर्मकी माता है। २ हीम्मत बाहादुर हो, कारण कायरोंसे धर्म नही होता है। ३ धैर्यवान् हो, हरेक कार्योंमें आतुरता न करे। ४ बुद्धिवान् हो, दरेक कार्य स्वमति विचारके करे। ५ असत्यको धीकारनेवाला हो, और सत्य वचन बोले । ६ निष्कपटी हो, हृदय साफ स्फटिकरत्न माफिक हो। : ७ विनयवान, और मधुर भाषाका बोलनेवाला हो । ८ गुणग्राही हो, और स्वात्मश्लाघा न करो। ९ प्रतिज्ञा पालक हो, कीये हुवे नियमोंकों बराबर पाले। १० दयावान हो, और परोपकार कि बुद्धि हो । ११ सत्य.धर्मका अर्थी हो, सत्यकाही पक्ष रखना। १२ जितेन्द्रिय हो, कषायकी मंदता हो। . . १३ आत्म कल्याण कि द्रढ इच्छा हो।
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy