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________________ (३०) (४५) कर्मप्रकृतिका उदय , , , (४६) कर्मप्रकृतिकि सत्ता , , , (४७) अबाधाकालाधिकार श्री पन्नषणाजी सूत्रपद २३ (४८) कर्म विचार श्री भगवतीजी सूत्र श. ८ उ. १० (४९) कर्मवान्धतो बान्धे श्री पन्नवणाजी मूत्रपद २३ (५०) कर्म बान्धतो वेदे " " , पद २४ (५१) कर्म वेदतों बान्धे " " , पद २५ (५२) कर्म वेदतों वेदे , पद २६ (५३) पचास बोलोकी बन्धी श्री भगवतीजी श. ६ उ.३ (५४) र्यावहि संप्रायकर्म श्री भगवतीजी श. ८ उ.८ (५५) ४७ बोलोंकि बन्धी , , , २६ उ. ३ (५६) ४७ बोलोंके अणंतरादि , ,, २६ उ. २ (५७) करीसु शतक , , , २७-११ (५८) ४७ बोलोपर आठ भांगा , , ,, •८-११ (५९) सम भोगवनादि (६०) समोसरणाधिकार , , ,, ३०-११ (६१) लेश्याके ११ द्वार श्रीउत्तराध्ययनजी अ०३४ (६२) संचिठ्ठण काल श्रीभगवतीजी श०१ उ०२ (६३) बन्धकाल बोल ३६ श्रीकर्मग्रंथ चौदे पत्ता- श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला. मु० फलोधी-(मारवाड.) श्री सुखसागर ज्ञानप्रचारक सभा. मु० लोहावट-(मारवाड.)
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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