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________________ कर्मवेदतों बान्धे (३४१) थोकडा नम्बर ५१ सूत्र श्री पनवणाजी पद २६ ( वेदता बांधे ) . मूल कर्म प्रकृति आठ है यावत् पद २४ माफिक समजना समुख्य एक जीष ज्ञानावर्णीय कर्म वेदतों हुषों ७-८-६-१ कर्म बांधे (कारण ज्ञानावरणीय बारहायों गुण स्थानक तक वेदे है) एवं मनुष्य शेष २३ दंडक ७-८ कर्म बांधे। समुख्य घणाजीव ज्ञानावर्णीय कर्म वेदतो ७-८-६-१ कर्म बांधे जिसमें ७-८ कर्म बांधनेवाला सास्वता और ६-१ कर्म बांधवाला असास्थता जिसका भांगा ९ ७-८ । ६ । १ ७-८ । ६ । . . به هه . . له سه .. ३ एवं ९ मांगा। .. एकेंद्रीका पांच दंडक और मनुष्य वर्जके शेष १८ दंडक में शानावर्णिय कर्म वेद तो ७-८ कर्म वांधे जिसमें ७ का सास्थता ८ का असास्वता जिसका मांगा ३ (१) सातका घणा (२)सातका घणा, आठको पक (३) सातका धणा और आठका भी घणा एवं १८ दंडक का भांगा ५४ एकेन्द्री में ७ का भी घणा और आठ कर्मबांधनेवाला भी
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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