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________________ ( ३२६) शीघ्रबोध भाग ५ वा. नवमें गु० के पांचवें भाग में ११२ प्र० की सत्ता. श्रीवेद का विच्छेद हो. - नवमें गु० के छ? भाग; १०६ प्र० की सत्ता. हास्य १ रति २ अरति ३ शोक ४ भय ५ जुगुप्सा ६ इन प्रकृतियों का सत्ता विच्छेद होय. - नवमें गु० के सातवें भाग में १०५ प्र० की सत्ता. पुरुषवेद निकला.. नवमें गु० के आठवें भागमे १०४ प्र० की सत्ता संज्वलन का क्रोध निकला. ' नवमें गुरु के नवमें भाग में 1.३ प्र० की सत्ता. संज्वलन का मान निकला. दशमें गु० १०२ की सत्ता हो. यहां संज्वलन कि माया का विच्छेद हुआ. इग्यारमें गु० में १०१ की सत्ता हो. यहां संज्वलन के लोभकी सत्ता विच्छेद हुई. बारमें गुण में १०१ की सत्ता विचरम समयतक रहे है पीछे निद्रा प्रचंला २ इन दो प्रकृतियों को क्षय करे चरम समय ९९ की सत्ता रहै। - तेरमें गुणस्थानक में ८५ की सत्ता होय चक्षुदर्शनावर्णीय १ अचक्षुदर्शनावर्णीय २ अवधिदर्शनावर्णीय ३ केवलदर्शनावर्णीय ४ ज्ञानावर्णीय ५ अंतराय ५ इन चौदे प्रकृति की विच्छेद हुई. चौदमें गुण में पहिले समय ८५ की सत्ता रहै. पीछे देव गति । देवानुपूर्वी २ शुभ विहायोगति ३ अशुभविहायोगति । गंधतिक ६ स्पर्श १४ वर्ण १९ रसे २४ शरीर २९ बंधन ३४ संघा तेन ३९ निर्माण ४० संघर्यण ४६ अस्थिर ४७ अशुभ ४८ दुःर्भाग्य
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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