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________________ ( ३२२) शीघ्रबोध भाग ५ वां. थोकडा नं. ४५ (उदय) समुच्चय १४८ प्रकृति में से १२२ प्रकृति का ओघ उदय है. बंधकी १२० प्रकृति कही उसमें से समकित मोहनीय १ मिश्रमो. हनीय र ये दो प्रकृति उदयमें ज्यादा है क्योंकि इन दो प्रकृतियों का बंध नहीं होता परन्तु उदय है।। (१) मिथ्यात्व गुणस्थानक में १२७ का उदय होय क्योंकि सम्यक्त्व मोहनीय १ मिश्रमोहनीय २ जिन नाम ३ आहारक शरीर ४ आहारक अंगोपांग ५ ये पांच का उदय नहीं है. (२) सास्वादनगुण ११२ प्र० का उदय है. मिथ्यात्व में ११७ का उदय था उसमें से सूक्ष्म १ साधारण २ अपर्याप्ता ३ आताप ४ मिथ्यात्व मोहनीय ५ और नरकानुपूर्वी ६ इन छ प्रकृतियोंका उदय विच्छेद हुवा.. (३) मिश्रगुण० में १०० प्रकृतिका उदय होय क्योंकि 'अनंतानुबन्धी चौक ४ एकेंद्री ५ विकलेंद्री ८ स्थावर ९ तिर्यंचानुपूर्वी १० मनुष्यानुपूर्वी ११ देवानुपूर्वी १२ इन बारे प्रकृतियोंका उदय विच्छेद होने से शेप ९९ प्रकृति रही. परन्तु मिश्रमोहनीय का उदय होय इस वास्ते १०० प्रकृतिका उदय कहा। . (४) अविरती सम्यक् दृष्टी गुण में १०४ का उदय होय. क्योंकि मनुष्यानुपूर्वी १ त्रियंचानुपूर्वी २ देवानुपूर्वी ३ नरकानु पूर्षी ४ और सम्यक्त्व मोहनीय ५ इन पांच प्रकृतिका उदय विशेष होय और मिश्रमोहनीय का उदय विच्छेद होय. इस वास्ते १०४ प्रकृतिका उदय कहा. (५) देशविरति गुण में ८७ प्रकृतिका उदय हाय क्यों
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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