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________________ ( २८६ ) शीघ्रबोध भाग ३ जो. भ समभूमि पर खड़ा हो कर अपना ढिचणकीं छाया पढे वह दो पग प्रमाण हो तो एक पेहर दीनका परिमाण समझना अथवा aser में विश ( वेथ ) की छाया विलश परिमाण हो तो पेहर दीन समझना और श्रावण कृष्ण सप्तमीकों एक आंगुल छाया वडे, श्रावण कृष्ण अमावास्याको २ अंगुल छाया वडे, श्रवण शुक्ल सप्तमीकों ३ आंगुल छाया वडे, और श्रावण शुक्ल पूर्णमाकों ४ आंगुल छाया वडे ( एक मासमें ४ आंगुल छाया वडे ) श्रावण शुक्ल पूर्णमा २ पग और ४ आंगुल छाया आने से पेहर दीन आया समझना, भाद्रपद शुक्ल पूर्णमा को २ पग ८ आंगुल छाया, आश्वन पूर्णमा ३ पग छाया, कार्तिक पूर्णमा ३ पग ४ आंगुल, मागसर पूर्णिमा ३ पग ८ आंगुल. पोष पूर्णमा १ पग छायाके पेहर दीन समजना, इसी माफक एक एक मासमें ४ आंगुल कम करते आषाढ पूर्णमाको २ पग छायाको पेहर दीन समझना. यह प्रमाण सम भूमिका है वर्तमान विषम भूमि होनेसे कुच्छ तफावत भी रहता than गीतार्थों से निर्णय करे । पोरसी और बहुपडिन्ना पोरसीका यंत्र. जेष्टे पग २-४ भाद्रपद पग ३-८ मार्ग० पग २-८ अंगुल ६x२ - १० अंगुल ८-३-४ अं० १०-४-६ आषाढ पग २ | आश्वन पग ३ पौष पग ४ चैत्र पग ३ अंगुल ६x२ - ६ | अंगुल ८-३-८ | अं० १०-१-१० | अंगुल ८-३-८ श्रावण पग २-४ कार्तिक ३-४ 1 अंगुल ६-२-१० अंगुल ८-४ / फाल्गुन पग ३-४ अं० ८-४ माघ प. ३-८ अं० ० १०-४-६ वैशाख पग २-८ अंगुल ८-२-४
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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