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________________ ३६ बोल. ( २४७) समोसरण० यथास्थित० ग्रन्थ अध्ययन० यमतिथि अध्ययन गहा अध्ययन (१७) सतरह प्रकारे संयम-पृथ्विकायसंयम, अप्पकाय तेउकाय वायुकाय० वनस्पतिकोय० बेइन्द्री० तेइन्द्री चौरिंद्री० पंचेन्द्री० अजीव प्रेक्षा० (जयणापूर्वक वर्ते बहुमूल्य वस्तु न वापरे) उपेक्षा. ( आरंभ तथा उत्सूत्रादि न प्ररुपे) पुंजणप्रतिलेखन० परठावणीय मन० वचन० काय० । १८ ) ब्रह्मचर्य १८ प्रकार-औदारिक शरीर संबंधी मैथुन (न सेवे) न करे न दूसरेसे करावे और न करतेको अच्छा समजे मनसे, वचन से, कायासे यह नौ भेद औदारिक से हुवे ऐसे ही नौ वैक्रियसे भी समज लेना एवम् १८ (१९) ज्ञातासूत्रका अध्ययन १९ मेघकुमार, धनासार्थवाह, मोरडीकाईडा, कूर्म-काच्छप, शैलकराजऋषीश्वर, तूंबडीके लेप का, रोहिणीजीका, मल्लीनाथजीका, जिनऋषीजिनपालका, चन्द्र माकीकलाका, दबदबावृक्षका, जयशत्रु राजा और सुबुद्धि प्रधान का, नन्दनमणीयारका, तेतलीप्रधान पोटलासोनारीका, नदीफल वृक्षका, महासती द्रौपदीका, कालोद्वीपके अश्चोंका, सुसमा वालकाका, पुंडरीकजीका. (२०) असमाधीस्थान-बीस बोलोंको सेवन करनेसे सं. यम असमाधी होते है। धमधम करते चले, विना पंजे चले, कहीं पूजे और कहीं चले, मर्यादासे उपरान्त पाट पाटलादिक भोगवे, आचार्योपाध्यायका अवर्णवाद बोले, स्थिवरकी धोत चिंतवे, प्रणमूतकी घात चिंतवे, प्रतिक्षण क्रोध करे, परोक्षे अबगुणवाद बोले, शंकाकारी भाषाको निश्चयकारी बोले, नया क्रोध करे, उपशमे हुधे क्रोधकों फीर उत्पन्न करे, अकालमें सझाय करे, सचित रजयुक्तपांबसे आसनपर बैठे, पेहररात्री पीछे दिन निक
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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