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________________ ( २१० ) शीघ्रबोध भाग ३ जो. अज्ञानके बस भूलजाने से क्रोधादि वस सत्य ही असत्य भाषाकि माफीक है और पर- परतापनावाली भाषा तथा जीवोंके प्राण चला जाय एसी भाषा बोलना यह दर्शो असत्यं भाषा है। मिश्र भाषाके दश भेद है-इन नगर में इतने मनुष्यों उत्पन्न हुवे हैं; उन नगर में इतने मनुष्योंका मृत्यु हुवा है, इस नगर में आज इतने मनुष्यों का जन्म और मृत्यु हुवे यह सब पदार्थ जीव है यह सब पदार्थ अजीव है यह सब पदार्थोंमें आदे जीव आदे अजीव है. यह वनस्पति सब अनंतकाय है यह सब परितकाय है कालमिश्र. उठो पोरसी दीन आगये है। लो इतने वर्ष हो गये है भावार्थ जब तक जिस वातका निश्चय न हो जाय यहां तक अगर कार्य हुवा भी हो तो भी वह मिश्रभाषा है जिसमें कुच्छ सत्य हो कुच्छ असत्य हो उसे मिश्रभाषा कहते है । व्यवहार भाषाका बार भेद है (१) आमंत्रण भाषा हे वीर, हे देव. २) आज्ञा देना यह कार्य एसा करो (३) याचना करना यह वस्तु हमे दो ४ प्रश्नादिका पुच्छना ( २ ) वस्तु तत्वकि प्ररूपना करना ( ६ प्रत्याख्यानादि करना (७) आगलेकी इच्छानुसार बोलना 'जहासुखम् ' ( ८ ) उपयोग शुन्य बोलना. ( ९ ) इरादा पूर्वक व्यवहार करना ( १०) शंका संयुक्त बोलना ( ११ ) अस्पष्ट बोलना ( १२ ) स्पष्टतासे बोलना । जिस भाषा में असत्य भी नहीं और पूर्ण सत्य भी नहीं उसे व्यवहार भाषा कही जाति है जेसे जीव मरगया इस्में पूर्ण सत्य भी नही है कारणकि जीव कभी मरता नही है और पूर्ण असत्य भी नही है कारण व्यवहा -र से सब लोगोंने मरना जन्मना स्वीकार कीया है. इत्यादि - (२१) अल्पावहुस्त्रद्वार : १) सर्वस्तोक सत्य भाषा बो 1
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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