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________________ (१८८) शीघ्रबोध भाग ३ जो. संख्यात २ गोले है | एकेक गोले में असंख्यात २ शरीर है। पकेक शरीर में अनंते अनंते जीव है एकेक जीवों के असंख्यात २ आत्म प्रदेश है. एकेक आत्म प्रदेशपर अनंत अनंत कर्म वर्गणावों है । एकेक कर्म वर्गणा में अनन्ते अनंते परमाणु हैं एकेक परमाणु में अनंती अनंती पर्याय है एकेक परमाणु में अनंतगुण हानि वृद्धि होती है यथा-अनंतभाग हानि असंख्यातभाग हानि संख्यातभाग हानि. संख्यात गुण हानि असंख्यातगुण हानि अनंतगुण हानि । वृद्धि - अनंतभाग वृद्धि असंख्यातभाग वृद्धि संख्यातभाग वृद्धि संख्यातगुण वृद्धि असख्यातगुण वृद्धि अनंतगुण वृद्धि । इसी माफीक द्रव्य में भी समय समय षट्गुण हांनि वृद्धि हुवा क रती है। एक शरीर में निगोद के जीव अनंते है वह एक साथ में साधारण शरीर बांधते है साथ ही में आहार लेते है साथ ही में श्वासोश्वास लेते है साथ ही में उत्पन्न होते है साथही में चवते है उन जीवोंकों जन्ममरणकी कीतनी वेदना होती है जेसे कोइ अंधा पंगु बेहरा मुका जीव हो उनों के शरीर में महा भयंकर सोलहा प्रकार के राजरोग हुवा है वह दुसरे मनुष्य से देखा नही जावे एसा दुःखसे अनंतगुण दुःखों तों प्रथम रत्नप्रभा नरक में है उनसे अनंतगुणा दुःख दुसरी नरक में एवं त्रीजीचोथी पांचमी छठी नरक में अनंतगुण दुःख है छठी नरक करतों भी सातवी नरक अनंतगुणा दुःख है उन सातवी नरक के उत्कृष्ठ ३३ सागरोपम का आयुष्य के जीतने समय ( असंख्यात ) हो उन एकेक समय सातवी नरकका उत्कृष्ट आयुष्य वाला भव करे उन असंख्यात भर्वोका दुःख को एकत्र कर उनों का वर्ग करे उन दुःखसे सूक्षम निगोद में अनंतगुणा दुःख है कारण वह जीव एक महुर्त में उत्कृष्ट भव करे तो ६५५३६ भव करते है संसार में जन्म मरण से अधिक दुसरा कोइ दुःख नही है.
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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