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________________ (१८२) शीघ्रबोध भाग ३ जो. ज्ञानसे मोक्ष होता है तो ज्ञानको मौख्यता है और दर्शन चारित्र' तप वीर्य क्रियादिकी गौणता है. पुरुषार्थसे कार्यकी सिद्धि होती है. इसमें काल स्वभाव नियत पूर्वकर्मकी गौणता है और पुरुष - र्थकी मौख्यता है. आचारांगादि सूत्रमें मुनिआचारकी मौख्यता बतलाइ है, शेष साधन कारणोंको गौणता रखा है. भगवति सुत्रादिमें ज्ञानकी मौख्यता बतलाई गई है, शेष आचारादि गौणतामें रखा है। जीस समय जीस पदार्थकों मौख्यपणे बतलानेकी आवश्यक्ता हो उसे मौख्यपणे ही बतलाना जेसे कोयलका रंग मौख्यतामें श्यामवर्ण है. शेष च्यार वर्ण, दो गन्ध, पांच रस, आठ स्पर्श गौणता है. इसी माफीक बाह्य दीसती वस्तुका व्याख्यान करे वह मौख्य है और उनके अन्दर अन्य धर्म रहा है वह गौण है । ( १७ ) उत्सर्गपिवाद - उत्सर्ग है सो उत्कृष्ट मार्ग है और अपवाद है सो उत्सर्गमार्गका रक्षक है. उत्सर्गमार्ग से पतित होता है, उन समय अपवादका अवलम्बन कर उत्सर्गमार्गकों अपने स्थानमें स्थिरीभूत कर सकते है. इसी वास्ते महान् रथकों चलामें उत्सर्गोपवाद दोनों धोरी माने गये है । जेसे उत्सर्गमे तीन है उनके रक्षण पांच समिति अपवाद में है, सर्वथा अहिंसा मार्ग में भी नदी उतरना, नौकामें बेठना, नौकल्पी विहार करना यह उत्सर्ग में भी अपवाद है, स्थिवरकल्प अपवाद है. जिनकल्प उत्सर्ग है. आचारांग दर्शवैकालिक प्रश्नव्याकरणादि सूत्रों में मुनि - मार्ग है सो उत्सर्ग है और छेद सूत्रों में मुनि मार्ग है वह अपवाद है " करेमिते सामायिक सव्वं सावज्जं जोगं पञ्चकखामि " यह उत्सर्ग पाठ है " जयंचरे जयंचिट्ठे " यह अपवाद पाठ है " समय गोमा म पाए " यह उत्सर्ग है संस्तारा पौरसीके पाठ अपवाद
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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