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________________ क्रियाधिकार. (१४१) | ० سه سه ० ० ० سه سد ० ० ० سه سه سه . सात एक के सास्वता आठ कर्म छे कर्म n n n | संख्या ० । अवान्धक ० Gne 03. ० ० . wwwimwww. ० ० ० ० जहांपर तीनका अंक है वह बहु. वचन और एक का अंक है उसे एकवचन समझे जहां (०) हे वह कुच्छभी नही। । समुच्चय जीवकी माफीक मनुष्य में भी २७ भांगे समझना. एवं ५४ एक प्राणातीपातके त्याग के ५४ भांगे हुवे इसी माफीक अठारा पापों के भी ५४-५४ भांगे गीननेसे ५७२ भांगे हवे शेष तेवीस दंडकमें अठारा पापका घिर. माण नही होते है परन्तु इतना विशेष है की मिथ्यादर्शन शल्यका विरमण नारकी देवता और तीर्यच पांचेन्द्रिय एवं १५ दंडक कर सकते है वह जीव सात आठ कर्म वान्धते है बहुत जीवों कि अपेक्षा सात कर्म बान्धनेवाले सदैव सास्वत है आठ कर्म बान्धनेबाले असास्वते है जिस्के भांगे तीन होते है (१) सात कर्म बान्धनेवाले सास्वते (२) सात कर्म बान्धनेवाले बहुत और आठ कर्म बान्धनेवाले एक (३) सात ३ कर्म बान्धनेवाले घणे और आठ कर्म बान्धनेवालेभी बहुत है. एवं पंदरा दंडक के ४५ भांगे होते है सर्व मीलके १०१७ भांगे होते है। समुच्चय जीव प्राणातीपातके त्याग करनेवालों के क्या आरंभकि क्रिया ० ० mm orm سه سه سه سه سه سه سه سه سد سه . سه ० ० amr orm or ० ० or
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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