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________________ ( १२४ ) शीघ्रबोध भाग २ जो. जैनागम पढनेवालों को निम्नलिखित अस्वाध्याय टालनी चाहिये । ( १ ) तारों तूटे तो एक पेहर सूत्र न वांचे. ( २ ) पश्चिम दिशा लाल रहे वहांतक सूत्र न पढे. ( ३ ) आर्द्रा नक्षत्रसे चित्रा नक्षत्र तक तो गाजविज कडेकेका काल है. इनोंके सिवाय अकाल कहा जाते है. उन अकाल में विद्युत्पात हो तो एक पहर, गाज हो तो दो पेहर, भूमिकम्प हो तो जघन्य आठ पेहर, मध्यम बारहा उत्कृष्ट सोलहा पेहर सूत्र न पढे, (४–२–६ ) बालचन्द्र हरेक मास के शुद १-२-३ रात्री पहले पहर में सूत्र न पढे, ( ७ ) आकाश में अग्निका उपद्रव हो वह न मीठे वहांतक सूत्र न पढे, (८) धूवर, (९) सुपेत धुमस, (१०) रजोघात यह तीनों जहांतक न मीरे वहांतक सूत्र न पढे, ( ११ ) मनुष्य के हाड जिस जगहपर पडा हो उनोंसे १०० हाथ तीर्यचका हाड ६० हाथके अन्दर हो तथा उनकी दुर्गन्ध आति हो मनुष्यका १२ वर्ष तीर्थचका ८ वर्ष तकका हाडकी अस्वाध्याय होती है वास्ते सूत्र न पढे । (१२) मनुष्यका मांस १०० हाथ तीर्थचका ६० हाथ काल से मनुष्यका ८ पेहर तीर्थचके ३ पेहर इनोंकी अस्वाध्याय हो तो सूत्र न बाचे । ( १३ ) इसी माफीक मनुष्य तीर्थचका रूद्रकी अस्वाध्याय (१४ ) मनुष्यका मल मूत्र - जहांतक जिस मंडलमे हो वहांतक सूत्र न पढे तथा जहांपर दुर्गन्ध आति हों asiभी सूत्र न पढना चाहिये । (१५) स्मशानभूमि चौतर्फ १०० हाथ के अन्दर सूत्र न पढे ( १६ ) राजमृत्यु होनेके बाद नया राजापाटन बेठे वहांतक उनोंके राजमें सूत्र न पढे ( १७ ) राजयुद्ध जहाँतक शान्त न हो वहांतक उनोंके राजमें सूत्र न पढे (१८) चन्द्रग्रहन ( १९ ) सूर्यग्रहन जघन्य ८ पेहर मध्यम १२ पेहर उत्कृष्ट ९६ पेहर सूत्र न पढे ( २० ) पांचेन्द्रियका मृत्यु
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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