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________________ (९०) शीघबोध भाग २ जो. (४) चोरिन्द्रिय के अनेक भेद है अंधिका पत्तिका मक्खी मत्सर कीडे तीड पतंगीये विच्छु जलविच्छु कृष्णविच्छु श्यामपत्तिका यावत् श्वेत पत्तिका भ्रमर चित्रपक्खा विचित्रपक्खा जलचारा गोमयकोडा भमरी मधु मक्षिका-टाटीया डंस मंसगा कींसारी मेलक दंभक इत्यादि जीस जीवोंके शरीर जीभ नाक नेत्र होते है यह सब चोरिन्द्रियको गीणतीमें समजना. इन तीन वैकलेन्द्रियके पर्याप्ता अपर्याप्ता मिलानेसे ६ भेद होते है। (५) पांचेन्द्रिय जीवोंके च्यार भेद है नारकी, तीर्यच, मनुष्य, देवता, जिस्मे नारकीके सात भेद है यथा गम्मा वंसा शीला अजना रिठा मघा माघवती-सात नरकके गौत्र. रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पङ्कप्रभा, घूमप्रभा, तमःप्रभा तमस्तमःप्रभा इन सातो नरकके पर्याप्ता अपर्याता मीलानेसे चौदे भेद होते है। (२) तीर्यच पांचेन्द्रियके पांच भेद है यथा-जलचर, स्थलचर, खेचर, उरपुरिसर्प भुजपुरिसर्प. जिस्मे जलचरके पांच भेद है मच्छ कच्छ मगरा गाहा और सुसमारा। (१) मच्छके अनेक भेद है यथा-सन्हमच्छा युगमच्छा विद्यत्मच्छा हलीमच्छा नागरमच्छा रोहणीयामच्छा तंदुलमच्छा कनकमच्छा शालीमच्छा पत्तंगमच्छा इत्यादि (२) कच्छक दो भेद है (१) अस्थि हाडवाले कच्छ (२) मांसवाले कच्छ (३) गोहके अनेक भेद दीलीगोह बेडीगोह मुदीगोह तुलागोह सामागोह सबलागोह कोनागोह दुमोहीगोह इत्यादि (१) मगरा-मगरा सोडमगरा दलीत मगरा पालपमगरा नायकमगरा दलीपमगरा इत्यादि (५) सुसमारा एकही प्रकारका होते है वह आढाइ द्विपके बाहार होते है यह पांच प्रकारके जलचर जीव संज्ञी भी होते है ओर समुत्सम भी होते है जो संज्ञी होते
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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