SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 349
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तमो नर्तनाध्यायः स्थितिस्तु चरणाग्रेण कुश्चितेन निकुट्टिका / / 998 / / इति निकुट्टिका (32) पश्चान्यस्य पुरस्ताच्च प्रसार्य चरणं यदि / निकुट्टयेद्भुवं तेन लताक्षेपस्तदोदितः / / 999 / / इति लताक्षेपः (33) स्खलिते चरणे तिर्यगहुस्खलितिका भवेत् / इत्यस्खलितिका (34) पुरतः पृष्ठतस्तिर्यक्चरणौ युगपयदा // 1000 // स्खलतः प्रोच्यते चारी समस्खलितिका तदा / इति समस्खलितिका (35) इति पश्चत्रिंशद्रोमचार्यः / (सु०) निकुट्टिकां लक्षयति-स्थितिस्त्विति / यत्र कुश्चितेन चरणाग्रेण स्थितिः क्रियते ; सा निकुट्टिका // -998 // इति निकुट्टिका (32) __ (सु०) लताक्षेपं लक्षयति-पश्वादिति / यत्र चरणं पश्चात् न्यस्य, पुरस्ताच्च प्रसार्य, तेन चरणेन यदि भूमि निकुव्यते ; स लताक्षेपः // 999 // इति लताक्षेपाः (33) (सु०) अइस्खलितिकां लक्षयति-स्खलिते इति / यत्र पादः तिर्यक् स्खलितः ; सा अहस्खलितिका // 999- // __ इत्यहस्खलितिका (34) (सु०) समस्खलितिका लक्षयति-पुरत इति / यत्र चरणद्वयं पुरतः पृष्ठतश्च युगपत् स्खलति ; सा समस्खलितिका // -1000, 1000- // इति समस्खलितिका (35) इति पञ्चत्रिंशदौमचार्य: Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034230
Book TitleSangit Ratnakar Part 04 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1953
Total Pages642
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size277 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy