SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नता और उसका विनियोग उवाहिता और उसका विनियोग आवर्तिता और उसका विनियोग परिवर्तिता और उसका विनियोग बहिर्गता और उसका विनियोग कम्पिता और उसका विनियोग तिरश्चीना और उसका विनियोग परावृत्ता और उसका विनियोग निस्ता सात प्रकार का जानु अभिनय मनु के भद नत और उसका विनियोग उपत और उसका विनियोग संहत और उसका विनियोग विवृत और उसका विनियोग २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. १. २. ३. ४. ५. ६. पाँच प्रकार का मणिबन्ध अभिनय १. सम और उसका विनियोग अर्थकृति कुचित और उसका विनियोग ४. ५. मणिबन्ध के भेद निकुञ्च और उसका विनियोग आञ्चित और उसका विनियोग चल और उसका विनियोग भ्रमित और उसका विनियोग सम और उसका विनियोग प्रत्यंग भूषणों का निरूपण विषयानुक्रम श्लोक संख्या ४०१ ४०२ Yo ४०४ ४०५ ४०६ ४०७ ४०८ ४०९ ** ४११ ४११ ४१२ ४१३ ४१४ ४१५ ४१६ ४१७ ४१८ ४१९ ४२० ४२१ ४२२ ४२३-४२५ पृष्ठ संख्या १३६ १३६ १३६ १३६ १३६ १३६ १३७ १३७ १३७ १३७ १३७ १३७ १३८ १३८ १३८ १३८ १३८ १३८-१३९ १३९ १३९ १३९ १३९ १३९ १४० २१
SR No.034223
Book TitleNrutyadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokmalla
PublisherSamvartika Prakashan
Publication Year1969
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy