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________________ २१- तेर काठिया निबन्ध २२- काय स्थिति स्तवन ढालियावालुं २३ - विचार बिन्दु (धर्मपरीक्षा का वार्तिक) २४-आदि अने अन्तभाग (उपाध्याय जी के समस्त ग्रन्थों का अनुवाद सहित ) [ १८५ इसके अतिरिक्त न्यायाचार्य के जोवन- कवन के सम्बन्ध में तथा अन्य अनेक कृतियों के अनुवाद और उनके बालावबोध-टब्बानों के प्रकाशन की योजना भी प्रस्तुत मुनिराज ने बनाई है। आपके प्रका शित एवं अप्रकाशित लेखों की सूची भी पर्याप्त विस्तृत है । कलामय कार्यों की सूची ( पूज्य मुनि श्री यशोविजयजी महाराज कला के क्षेत्र में भी नैसर्गिक अभिरुचि रखते हैं तथा उसके बारे में गम्भीर लाक्षणिक सूझ रखते हैं फलतः वे कला के क्षेत्र में भी कुछ न कुछ अभिनव-सर्जन करते ही रहते हैं । ऐसे सर्जन की संक्षिप्त जानकारी भी यहां पाठकों के परिचयार्थ दी जा रही है ।) (सम्पादक) १- महाराज श्री के स्वहस्त से निर्मित बृहत्संग्रहणी ग्रन्थ ( संग्रहणीरत्न) के प्राय: ४० चित्र । जो कि एक कलर से लेकर चार कलर तक के हैं। ये छपे हुए तथा 'बृहत्संग्रहणी चित्रावली' की पुस्तिका रूप में प्रकाशित हैं । (सं. १९६८) २-सुनहरे अक्षरों में लिखवाया हुआ बारसा - कल्पसूत्र । विविध पद्धति से लिखे हुए पत्र, विविध प्रकार की सर्वश्रेष्ठ बार्डर, चित्र और अन्य अनेक विविधताओं से युक्त है । (सं. २०२३) I ३- रोप्याक्षरी प्रतियाँ - रुपहले अक्षरों में लिखाई हुई भव्य प्रतियाँ | ४- बारसासूत्र (भगवान् श्रीमहावीर के जीवन से सम्बद्ध) के जयपुरी कलम में, पोथी के आकार में पत्रों पर मुनिजी ने अपनी कल्पना के अनुसार, विशिष्ट प्रकार की हेतुलक्षी, बौद्धिक बॉर्डरों से तैयार करवाए गए अत्यन्त आकर्षक, भव्य तथा मनोरम चित्र । ५- भगवान् श्रीमहावीर के जीवन से सम्बद्ध ३४ तथा एक श्री गौतम स्वामी जी का इस प्रकार कुल ३५ चित्रों का प्रपूर्व तथा बेजोड़ चित्र-सम्पुट | जिसमें चार रंग के, प्रायः '६ x १२' इंच की साइज में छपे हुए चित्र हैं। इनमें विविध हेतुलक्षी, प्रत्यन्त उपयोगी, बौद्धिक ४० बार्डर, जैन तथा भारतीय संस्कृति के जैन कुंकुमपत्रिका तथा में प्रयोग किये जा सकें श्रौर नया-नया ज्ञान मिले ऐसे - उपयोगी १२१ प्रतीक हैं। इन ३५ चित्रों का परिचय हिन्दी, गुजराती तथा इंग्लिश तीनों भाषात्रों में दिया गया है । तथा इनके साथ ही १२ परिशिष्ट भी जोड़े गए हैं, जिनमें भगवान महावीर के जीवन का संक्षेप में विशाल परिचय दिया गया है। सभी रेखापट्टियों (बॉर्डर) और प्रतीकों का परिचय २८ पृष्ठों वरित है। इन चित्रों की बाइडिंग की हुई पुस्तक जिस प्रकार तैयार की गई है वैसा ही खुले ३५ चित्रों का पेकेट भी तैयार हुआ है ।
SR No.034217
Book TitleKavya Prakash Dwitya Trutiya Ullas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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