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________________ विषयानुक्रमणिका १-महोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी महाराज का चित्र २-काव्य-प्रकाश की प्रस्तुत टीका की टीकाकार द्वारा लिखित प्रति का एक पत्र ३-पूज्य श्री पुण्यविजय जी द्वारा लिखित प्रतिलिपि का एक पृष्ठ ४-समर्पण-पत्र ५-प्रकाशकीय निवेदन ६-न्यायविशारद, न्यायाचार्य, महोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी महाराज का संक्षिप्त जीवन-चरित्र ७-प्रधानसम्पादकीय पुरोवचन ८-उपोद्घात-काव्यशास्त्र के आलोक में 'काव्यप्रकाश, उसका टीका-साहित्य एवं प्रस्तुत टीका' : एक समीक्षात्मक अनुचिन्तन द्वितीय उल्लास ( काव्यगत शब्दार्थ-स्वरूप निरूपरणात्मक ) विषय द्वितीय उल्लास की अवसर-संगति 'क्रमेण शब्दार्थयोः स्वरूपमाह' की व्याख्या काव्यगत शब्द के तीन भेद और उनके निर्दिष्ट क्रम से लिखने का कारण सूत्र ५ में 'त्रिधा' लिखने का तात्पर्य तथा वाचकादि के लक्षण : काव्यगत अर्थ के तीन भेद पर्य का चतुर्थ भेद 'तात्पर्य' अभिहितान्वयवाद अन्विताभिधानवाद 'तात्पर्यार्थोऽपि केषुचित्' पर प्रदीपकार का मत त्रिविध शब्दार्थों की व्यञ्जकता एवं 'सर्वेषाम्' (सूत्रक) की व्याख्या में मतमतान्तर शाब्दी और प्रार्थी व्यञ्जना वाच्य की व्यञ्जकता का उदाहरण (परमत एवं उपाध्यायजी की स्वमतानुसार व्याख्या) लक्ष्य अर्थ की व्यञ्जकता का उदाहरण (परमत और स्वमतानुसार व्याख्या) व्यङ्गय अर्थ की व्यञ्जकता का उदाहरण (, वाचक का लक्षण ('साक्षात् सङ्कतितम्' की व्याख्या एवं विविध विचार)
SR No.034217
Book TitleKavya Prakash Dwitya Trutiya Ullas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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