________________
(४०) योगचिन्तामणिः। [पाकाधिकार:
अजाजी दीप्यकश्चैव चित्रको गजपिप्पली ॥२॥ यवानी ग्रंथिकं धात्री शुंठी गोक्षुरधान्यकम् । अश्वगन्धाऽभया मेघः सिंधुशोषोलवंगकम् ॥३॥ जातीफलं जातिपत्रीनागकेशरकेक्षुरः । बला चातिबला नागबला मर्कटबीजकम् ॥४॥ यष्टी शाल्मलिनिर्यामः शृङ्गागंबुजबीजकम् । त्वशारिका बाल कश्च कोलः कल्लकं हिमम् ॥२॥ लुञ्चितानां तिलानां तु प्रस्थाईमिह योजयेत् । भस्म मूतपला? तु पलमभ्रकलोहयोः ॥६॥ सर्वस्माद्विगुणं खण्डं पाकं कृत्वा प्रयोजयेत् । भैषज्यानां गणं सर्ववटीः कुर्याद्विचक्षणः ॥७॥ सफेद मुसलीका चूर्ण १ प्रस्थ आठगुण दूधमें औटावे पीछे य औषधी जुदी २ एक एक पल लेवे-सोंठ, मिरच, पीपल, विजात ( इलायची, दालचं नी, पत्रज ), हाऊबेर सौंफ, शतावर, जीरा, अजमोद, चित्रक, गनपील, अमायन, पीपला मूल, आंग्ले, कचर, गोखरू, धनियां, असगन्ध, हाड, नागरमोथा, समुदशोष, लोंग, जायफल, जावित्री, नागोशर, ता ठमेवारे, बला ( खरेटी ), अतिबला, नागपला, (गोरन ।, केव के बीज, मुलहटी, सेमलका गोंद, सिंबाडे, कमलाहा, वंशचा, सुगंधवाला, कंकोल, अकरकरा, कपूर और धुले हुए तिल या प्राय ५१२ टंक ), चन्द्रोदय दो कर्ष और अभ्रकनार एक पल इन सब औषधियोसे दुगुनी खांड लेकर पूर्वा कारने इस पाकको बनाना चाहिये, इसम य सब औषधी मिलाकर गुटिका बनावे ॥ १-७॥
Aho! Shrutgyanam