SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३०) योगचिन्तामणिः-- [पाकाधिकारः मिश्रीको चासनी करै जब पाकके योग्य चासनी हो जाय तब इतनी औषधी और डालै, सो मैं लिखता हूं-इलायची, नागवला (गुलसकरी ), बला (बरिआरी ), पीपल, जायफल, शिवलिंगी, जावित्री, पत्रज, दालचीनी, सोंठ, उशीर, सुगन्धवाला, नागरमोथा, हरड, बहेडा, आंवला, वंशलोचन, शतावर, कौंचके बीज, तालमखाने, दाख, गोखरू, महती ( उत्तत्ती ). खजूर इति पूर्वदेश प्रसिद्ध छुहारे, खिरनी, धनियां, कसेरू, महुवा, सिंघाडे, जीरा, मगरेल, अजमायन, बरउ,जटामांसी. सौंफ, मेथी. विदारीकन्द, मूसली, असगन्ध, कचूर, नागकेशर, काली मिरच, चिरौजी, सेमरकेबीज, गजपीपल, कमलगट्टा, सफेद चन्दन, लाल चन्दन, धायके फूल ये सब बराबर लेवे ॥ २--४॥ सर्व चेति पृथक्पृथक्पलमितं संचूर्ण्य तत्र क्षिपे सूतं वङ्गभुजङ्गलोपगगनं संमारिता स्वेच्छया। कस्तूरीघनसारचूर्णमपि च प्राप्तं यथा प्रक्षिपेत्पश्वादस्य तु मोदकान्विरचयेद्विल्वप्रमाणांस्तथा ॥५॥ तान्भुक्त्वा च सदा यथानलबलं भुनी नाम्लं रसं पूर्वस्मिन्नशिते गते परिणते प्राग्भोजनाद्भक्षयेत् । नित्यं श्रीरतिवल्लभाख्यकमिमं यः पूगपाकंभजेत्स स्याद्रीयविवृद्धवृद्धमदनो वाजीव शक्तो रतौ ॥६॥ दीप्ताग्निबलवान् वलीविरहितो दृष्टः सुपुष्टः सदा वृद्धो योऽपि युवेव सोऽपि रुचिरःपुर्णेन्दुवत्सुंदरः । ७॥ ये सब औषधि न्यारी न्यारी एक एक पल ले सबको कूट पीस पूर्वोक्त चासनीमें गेरे,तदनंतर चन्द्रोदय,वंग नागेश्वर, लोह, अभ्रक ये भी अनुमान Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy