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________________ (२२०) योगचिन्तामणिः। मिश्राधिकारःततस्तु गुटिकां कृत्वा प्रयुंज्याद् वह्नयपेक्षया । भगन्दरं गुल्मशोफमर्शासि च विनाशयेत् ॥ २ ॥ त्रिफलाचूर्ण ३ पल, पीपल १ पल, गूगल ५ पल, इन सब को पीसकर गोली बनावे, यथायोग्य अग्नि बल देखकर गोली देवे. यह गूगल भगन्दर, गुल्म, सूजन और अर्शको दूर करे ॥ १ ॥ २ ॥ कांचनारगुग्गुलुः। कांचनारत्वचो ग्राह्याः पलानां दशकं बुधैः । त्रिफला षट्पला कार्या त्रिकटु स्यात्पलत्रयम् ॥१॥ पलैकं वरुणः कार्यएलात्वक् पत्रकं तथा। प्रत्येकं कर्षमा स्यात्सर्वानेकत्र चूर्णयेत् ॥२॥ यावत्सर्वमिदं चूर्ण तावन्मावस्तु गुग्गुलुः। संकुटय सर्वमेकत्र पिण्डं कृत्वा च धारयेत् ॥३॥ गुटिकाः शाणिकाः कृत्वा प्राताह्यं यथोचितम् । गण्डमालां जयंत्युग्रामपचीमबुंदं तथा॥ ४॥ ग्रन्थीन्त्रणानि गुल्मांश्च कुष्टानि च भगन्दरम् । प्रदेयश्चानुपानाथे काथो मुण्डीतिकाभवः। क्वाथः खादिरसारस्य पथ्याकाथोयवोष्णकः॥५॥ कचनारकी छाल १० पल, त्रिफला ६ पल, सोंठ, मिरच, पीपल ३ पल, बरना १ पल, इलायची, तज, तेजपात ४ टंक इन सबके बराबर गूगल डालकर गोली १ टंकके प्रमाण बनावे, प्रातःकाल बलाबल देखकर देवे तो गंडमाला, अपची, अर्बुद, गांठ, व्रण, १८ प्रकारका कोढ और भगंदरको हरे. अनुपान मुंडीके काढेके साथ तथा खैरसारके काढेके Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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