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________________ तृतीयः] भाषाटीकासहिताः। (१३७) स्तम्भनगुटिका । कंकोलं कुंकुमं फेनं मस्तंगी जातिपत्रिका। जातीफलं च कर्पूरं करहाटमुटीङ्गणम् ॥ १ ॥ जलादिभिर्विनैवैतां गुटिकां वर्द्धयेदली। . दिनान्ते भक्षयेच्चैकां रेतस्तंभकरी मता ॥ २ ॥ कंकोल, केशर, अफीम, मस्तंगी, जावित्री, जायफल, कपूर, अकरकरा, उटंगन इनकी विना पानीसे गोली बनावे. संध्याको एक गोली लेवे तो स्तंभन करे, और वीर्यको पुष्ट करे ॥ १ ॥ २ ॥ नेत्राम्बुजवटी। शंखनाभिकणातुत्थं बोलखर्परसंयुतम् । निंबूकरसतोयेन ह्यंजनं नयनामृतम् ॥१॥ शंखकी नाभि, पीपल, नीलाथोथा शुद्ध, बीजाबोल, शुद्ध खपरिया इनको नींबूके रसमें खरल कर अञ्जन करे, यह अञ्जन नयनामृत नामसे प्रसिद्ध है ॥ १॥ । चन्द्रप्रभावत्तिः। अशीतितिलपुष्पाणि षष्ठिभागाधिका कणा। पञ्चाशजातिकलिका मरिचानथ षोडश ॥१॥ भृङ्गराजरसेनेदं कांस्यपात्रेण मर्दयेत् । एषा चन्द्रप्रभा वर्तिश्चक्षुरोगविनाशिनी ॥२॥ तोयेन तिमिरं हन्ति मधुना हन्ति पुष्पकम् । अजामूत्रेणराव्यन्धं गोमूत्रेण च चिर्पटम् ॥३॥ तिलके फूल ८०, पीपलके दाने ६०, जाईकी कली ५०, मिरच १६ इनको भांगरेके रसमें कांसेके पात्रमें खरल करे, यह चन्द्रप्रभा Aho! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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