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________________ ( ११४) योगचिन्तामणिः । [ गुटिकाधिकार: पाण्डुरोग नवरसादिगुटिका । चित्रकं त्रिफला मुस्तं विडंगं त्र्यूषणानि च । समभागानि कार्याणि सर्वतुल्यमयोरजः॥१॥ मधुसर्पिर्युतं लेह्यं गुडेन गुटिकाथवा । गोमूत्रमथवा तक्रानुपाने प्रशस्यते ॥ २॥ पाण्ड्डरोगं जयेदुग्रं हृद्रोगं च भगन्दरम् । शोफकुष्टोदराशोसि मन्दाग्निमरुचिं कृमीन् ॥३॥ चित्रक, त्रिफला, मोथा, वायविडंग, सोंठ, मिरच, पीपल सच बराबर और सबके बराबर लेहसार शहद और घास खाय अथवा गुडमें गोली बनावे और गोमूत्र वा छाछके संग लेबे तो पांडुरोग, हृदयरोग, भगदर, सजन, कोढ, उदररोग,अर्श, मंदाग्नि, अरुचि, क्रिमि आदि रोगोंको नाश करे ॥ १-३ ॥ वृद्धिनवरसगुटिका । विडङ्गं त्रिफला व्योषं चातुर्जातकचित्रकम् । स्वर्णमाक्षी तवाक्षीरं जीमूतं वंशलोचनम् ॥१॥ क्वाथसंपवलोहं च शर्करापि समन्विता । गुटिकां मधुसंयुक्तां प्रातरेकां तु भक्षयेत् ॥२॥ प्रमेहशोफारुचिमामवातं सकामलं पाण्डुगदंसकुष्ठम् । श्वासं च कासं च निहन्ति गुल्मं दुर्नामकं नाशयते च सद्यः ॥३॥ .. वायविडंग, त्रिफला, सोंठ, मिरच, पीपल, तज, तेजपात, इलायची, नागकेशर, चीता, सोनामक्खी, तवाखीर, मोथा, वंशलोचन, सार,. मंडूर ये सब बरावर, मिश्री सबके बराबर Aho ! Shrutgyanam
SR No.034215
Book TitleYog Chintamani Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshkirtisuri
PublisherGangavishnu Shrikrishnadas
Publication Year1954
Total Pages362
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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