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________________ भाषाटीकासमेत। (७) ॥३२॥ अथापरः स्वप्नप्रदः सिद्धिलोचनामन्त्रः॥ (ॐ स्वप्रविलोकि सिद्धिलोचने स्वप्ने मे शुभाशुभं कथय स्वाहा ॥८॥) इमं मन्त्रमयुतं जपित्वा मन्त्रसिद्धिः ॥ कार्याकार्य विवेकार्थे रात्रावष्टोत्तरं शतम् ॥ जत्वा शयीत स्वप्ने तु सर्व देवी ब्रवीति तम् ॥ ३३ ॥ अथापरः स्वप्नप्रदः स्वप्नचक्रेश्वरीमन्त्रः॥ (ॐ ह्रीं श्री ऐ ॐ चक्रेश्वरि चक्रधारिणि शङ्खचक्रगदाधारिणि मम स्वप्नं प्रदर्शय प्रदर्शय स्वाहा ॥९॥) एतन्मन्त्रस्याष्टोचरशताधिकैकसहस्रजपात्सिद्धिः॥ ॥रात्रावष्टोत्तरं जावा शतं स्वापो विधीयताम् ॥ स्वप्रेश्वरी समागत्य ब्रूयात्स्वप्ने शुभाशुभम् ॥ ३४॥ अथापरः स्वप्न प्रदो घण्टाकर्णीमन्त्रः ॥(ॐ नमो यक्षिणि आकर्षिणि घण्टाकर्णि महापिशाचिनिमम स्वप्नं देहि देहि स्वाहा॥१०॥) इमं मन्त्रं शयनसमये रात्रावकविंशतिवाराअपित्वा शयीत जपकालमारभ्य प्रातः कालपर्यन्तं किञ्चिदपि न वदेत् । प्रातःकाले उत्थानसमये पुनरेकविंशतिवाराअपेत् । ततो मौनं विसर्जयेत् ॥ एवं प्रकारेणैकविंशतिदिनपर्यन्तमविच्छि नं साधयेत् । यदि मध्य एव धृतस्यास्य व्रतस्य विच्छेदः कार्य देवीसे निवेदन करें तो वह स्वप्नमें अवश्य कहतीहै ।। ३२ ॥ अब स्वप्नदेनेवाला सिद्धि लोचना मंत्र कहतेहैं ( ओं स्वप्नविलोकि सिद्धिलोचने स्वप्ने में शुभाशुभं कथय स्वाहा ८) यह मंत्र १०००० जपनेसे सिद्धि होतीहै कार्याकार्य ज्ञानके लिये रात्रिमें इस मंत्रको १०८ वार जपै तो स्वप्नमें देवी उसको सब कहतीहै ॥ ३३ ॥ अब स्वप्नदेनेवाला स्वप्नचक्रेश्वरी मंत्र कहतेहैं । (ओह्रीं श्री ओंचकेश्वार चक्रधारिणि शंखचक्रगदाधारण मम स्वप्नं प्रदर्शय प्रदर्शय स्वाहा ९)इस मंत्रको११०८वार जपनेसे सिद्धिहोतीहै।रात्रिमें एक सौ आठ बार जपकर सो रहेतो स्वनेश्वरी प्राप्त होकर स्वप्नमें शुभाशुभ कहतीहै।॥३४॥अब स्वप्नदेनेवाला दूसरा घंटाकरणी मंत्र कहतेहैं। ओं नमोपक्षिणीति यह मंत्रहे यह मंत्र शयनसमयमें रात्रिमें इक्कीस वार जप कर शयन कर जपकालसे लेकर प्रातः कालपर्यंत कुछभी न बोले, प्रातः काल उठते समय फिर २१ वार जपै इसके पीछे मौनता विसर्जन करे इस प्रकार २१ दिन तक निरन्तरसाधन कर, यदि बीचमें धारण किये इस व्रतका Aho! Shrutgyanam
SR No.034213
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1828
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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