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________________ ( ४ ) प्रश्न :-४. महावीर भगवान् को प्रथम देशना में किसी को भी प्रतिबोध नहीं हुआ तो क्या उस समय वहाँ चार निकाय के देवता हो पाये थे या मनुष्यादि भी ? उत्तर :- श्री कल्पवृत्ति, स्थानाङ्गवृत्ति एवं प्रवचन सारोद्धार की वृहद् वृत्ति के प्रामाणिक अभिप्राय के आधार पर महावीर भगवान् की प्रथम देशना में देवताओं के अतिरिक्त मनुष्य एवं निर्यञ्च भो थे । तवृत्ति पाठ में इस का उल्लेख इस प्रकार है : "दशाश्चर्यद्वारे, श्रयते हि भगवतः श्री वर्द्धमान स्वामिनो जम्भिकग्रामाबाहः समुत्पन्न निस्सपत्न-कवलालोकस्य तत्काल समापात संख्याऽतीत सुर विरचित चारु समवरणस्य भूरि भक्ति कुतूहलाकुलित मिलिताऽपरिमिताऽमरनर तिरश्वां स्वस्वभावानुसारिणा महाध्वनिना धर्मकथां कुर्वाणस्यापि न केनचिद् विरतिः प्रतिपन्ना केवलं स्थिति परिपालनायैव धर्मकथाऽभूदित्यादि...। -"भगवान् वर्धमान स्वामी को जम्मिका ग्राम के बाहर असाधारण, अद्वितोय एवं लोकोत्तर केवल ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न हुआ। उस समय आये हुए असंख्य देवों ने सुन्दर समवसरण की रचना की । ऐसे अवसर पर अत्यन्त भक्ति एवं कुतूहल के साथ मिले हुए अपरिमित देवों, मनुष्यों तथा तिर्यञ्चों ने अपनी अपनी भाषा का अनुसरण करने वाली गम्भीर ध्वनि से धर्म कथा सुनी, परन्तु उस देशना से किसी ने भी विरति प्राप्त नहीं की। केवल स्थिति प्राचार का पालन करने के लिये ही वह धर्म देशना हुई थी। Aho! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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