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________________ ( १७३ ) हे भगवन् ! ज्ञान की आराधना कितने प्रकार की होती हैं ? गौतम ! ज्ञान की आराधना तीन प्रकार की होती है । यथाः १. उत्कृष्ट, २. मध्यम एवं जघन्य । हे भगवन् ! दर्शनाराधना कितने प्रकार की है ? गौतम ! उपर्युक्तानुसार तीन प्रकार की होती है, यहीं तीन प्रकार दर्शनाराधना के भी हैं । हे भगवन् ! जिसको उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना हो तो उसको क्या उत्कृष्ट दर्शन की आराधना होती है । एवं जिसको उत्कृष्ट दर्शन की आराधना हो, तो उसको क्या. उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना होती है । हे गौतम ! जिसको उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना होती हैं उसको उत्कृष्ट दर्शन की आराधना होती है अथवा मध्यम प्राराधना भी होती है । उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना करने वालो को आदि के दो दर्शन की आराधना होती है, तीसरे की नहीं, क्योंकि उसका वैसा ही स्वभाव है । एवं जिसको उत्कृष्ट दर्शन की आराधना होवे उसको ज्ञान की प्राराधना उत्कृष्ट, मध्यम एवं जघन्य तीनों प्रकार की होती है । हे भगवन् ! जिसको उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना होवे उसको उत्कृष्ट चारित्र की आराधना होती है । एवं जिसको उत्कृष्ट चारित्र की आराधना होती है, उसको क्या उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना होती है ? हे गौतम! जिस प्रकार उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना एवं दर्शन की आराधना कही है उसी प्रकार उत्कृष्ट ज्ञान की आराधना एवं उत्कृष्ट चारित्र की आराधना भी जाननी चाहिये । उत्कृष्ट ज्ञान की प्राराधना वाले को चारित्र की Aho ! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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