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________________ उपाध्याय क्षमाकल्याणजी ले०-अगरचन्द नाहटा श्वे० जैन संघ में खरतर गच्छ को सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगो । समय समय पर अनेक आचार्यो, मुनियों व श्रावकों आदि ने जैन शासन की विविध प्रकार की महान् उल्लेखनीय सेवायें की हैं। १९वीं शताब्दी में खरतर गच्छ में एक गीतार्थ विद्वान् ऐसे हो गए हैं जिनकी समाज एवं साहित्य को विशिष्ट देन रही है । उनका नाम है उपाध्याय क्षमाकल्याण जी। जन्म-- पं० नित्यानंदजी विरचित क्षमाकल्यारण चरित (संस्कृत पद्य) के अनुसार आपने बीकानेर के समोपवर्ती गांव केसरदेसर के प्रोसवाल वंशीय मालू गोत्र में सं० १८०१ में जन्म ग्रहण किया था। जन्म नाम खुशालचन्द था। दीक्षा ग्रहण नित्यानन्दजी के लिखित चरितानुसार आपने संवत् १८१२ में अमृतधर्मजी से दीक्षा ग्रहण को । पर दीक्षानंदो सूची के अनुसार सं० १८१५-१६ के वैशाख वदी ३ फलोधी या प्रसाद बदी २ जैसलमेर में. खरतर गच्छाचार्य श्री जिनलाभ सूरिजो के समीप आपने दीक्षा ग्रहण को थो। आपके धर्मप्रतिबोधक और गुरुवाचक श्री अमृतधर्मजी थे। अतः उनके शिष्य से आप प्रसिद्ध हैं। Aho! Shrutgyanam
SR No.034210
Book TitlePrashnottar Sarddha Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyanvijay, Vichakshanashreeji
PublisherPunya Suvarna Gyanpith
Publication Year1968
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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