SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मध्य-प्रदेशका बौद्ध-पुरातत्त्व मध्यप्रदेशीय शिल्प-स्थापत्य विषयक कलावशेषोंके परिशीलनसे ज्ञात " होता है कि बौद्ध-संस्कृतिका प्रभाव इस भू-भागपर, बहुत प्राचीन कालसे रहा है। शिलोत्कीर्णित लेख, गुफा एवं प्रस्तर तथा धातु-मूर्तियाँ आदि उपर्युक्त पंक्तिकी सार्थकता सिद्ध करती हैं। बौद्धोंमें कलाविषयक नैसर्गिक प्रेम शुरूसे रहा है। जबलपुर ज़िलेके रूपनाथ नामक स्थानपर सम्राट अशोकका एक लेख पाया गया है । संभव है उन दिनों बौद्ध वहाँ रहे हों या उस स्थानकी प्रसिद्धिके कारण, अशोकने प्रचारार्थ शिक्षाएँ वहाँ खुदवा दी हों । यह लेख उसने बौद्ध होनेके २॥ वर्ष बाद खुदवाया था। इससे इतना तो निश्चित है कि सम्राट अशोक द्वारा मध्य प्रदेश में बौद्ध धर्मकी नींव पड़ी। मध्यप्रदेशीय शासनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी पचमढ़ीमें भी कुछ गुफाएँ हैं, जिनका संबंध बौद्ध धर्मसे बताया जाता है। ___ मौर्य साम्राज्यके बाद मध्यप्रान्तपर जिन शक्तिसंपन्न राजवंशोंने शासन किया, उनमेंसे अधिकतर परम वैदिक थे । अतः मौर्य शासनके बाद बौद्ध धर्मका व्यवस्थित प्रचार, जैसा होना चाहिए था, न हो पाया । समसामयिक समीपस्थ प्रादेशिक पुरातन स्थापत्योंके अन्वेषणसे फलित होता है कि तत्रस्थ शासन वैदिक होते हुए भी, बौद्ध-संस्कृति अनुन्नत नहीं थी। मेरा तात्पर्य साँची व परवर्ती बौद्ध अवशेषोंसे है । नागार्जुन ___ कहा जाता है कि नागार्जुन बरारके निवासी थे। ये बौद्ध धर्मके विद्वान् , पोषक एवं प्रचारक आचार्य तो थे ही साथ ही महायान संप्रदायकी माध्यमिक शाखाके स्तम्भ भी थे । ये महाकवि अश्वघोषकी परम्पराके "श्री प्रयागदत्त शुक्ल, होशंगाबाद-हुंकार, पृ० ८६ । Aho! Shrutgyanam
SR No.034202
Book TitleKhandaharo Ka Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1959
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy