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________________ (२५८) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । और चरक आदिकोंने हरी मुंगीको विशेष गुणोंवाली कहा है। इसे अंग्रेजीमें Green Gram कहते ॥३९-४१॥ माषः। माषो गुरुः सादुपाकः स्निग्धो रुच्योऽनिलापहः ४२ स्रंसनस्तर्पणो बल्यः शुक्रलो बृंहणः परः। छिन्नमूत्रमलः स्तन्यो मेदः पित्तकफप्रदः ॥४३॥ गुदकीलार्दितश्वासपक्तिशूलानि नाशयेत् । कफपित्तकरो मापः कफपित्तकरं दधि ॥४४॥ कफपित्तकरा मत्स्या वृताकं कफपित्त कृव । माष ( उडद) गुरु, स्वादुपाकि, निग्ध, रुचिकारक, वातनाशक, स्रंसन, तर्पण, बलकारक, वीर्यवर्धक और शरीरको मोटा बनानेवाले, मलमूत्रको निकालनेवाले, स्तनों में दूध उत्पन्न करनेवाले, मेद, पित्त और कफको बढानेवाले तथा अश, श्वास और परिणामशूनको दूर करते हैं। माष, दधी, मछली और बेंगन यह चारों ही पृथकू सेवन करने से, या मिलाकर सेवन करनेसे पित्त और कफको विशेष रूपसे बढाते हैं । इसे अंग्रेजीमें Kidney Bean कहते हैं । ४२-४४ ॥ राजमाषः। राजमाषो महामापश्चपलश्च बलः स्मृतः ॥१५॥ राजमाषो गुरुः स्वादुस्तुवरस्तर्पणः सरः । रूक्षो वातकरो रुच्यः स्तन्यो भूरिमलप्रदः॥४६॥ श्वेतो रक्तस्तथा कृष्णस्त्रिविधः स प्रकीर्तितः। यो महास्तेषु भवति स एवोक्तो गुणाधिकः ॥१७॥ राजमाष, महामाष, चपल और बल यह राजमाषके नाम हैं । इसे हिन्दी में लोबिया खांगण भी कहते हैं । इसका अंग्रेजी नाम Chinessp
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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