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________________ (२४४) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी.। जैसे फलोवाला तेजयुक्त बहुत बडा रेखा और बिंदुनोंसे रहित हो पर पुरुषसंज्ञक होता है। रेखा विन्दुयुक्त है कोनेवाला स्त्रीसैज्ञक होता है। तीन कोनेवाल और बहुत लम्बा नपुंसक संज्ञक होता है । इनमें पुरुष हीरा सबसे श्रेष्ठ है, इससे बंधन होता है । स्त्रीजातिका हीरा शरीरको सुंदर करनेवाला और स्त्रियोंको सुखदायक है । नपुंसक जातिका हीरा प्रवीर्य, अकाम और शक्तिरहित होता है। स्त्री जातिका हीरा खौको नपुंसक जातिका नपुंसकको और पुरुष जातिका पुरुषको देना चाहिये । पुरुष जातिका हीरा वीर्यवर्द्धक है। अशुद्ध हीरा कोढ, पसलीकी पीडा, पांडुरोग तथा लंगडापनको करता है । इस लिये हीरेको शोध कर मारना चाहिये । मारा हुमा हीरा आयुष्य, पुष्टिकारक, बलकारका वीर्यवर्द्धक, वर्णको सुन्दर करनेवाला, मुखदायक पौर सर्वरोगनाशक है। इसे फारसी में इल्माश और अंग्रेजीमें Diamond कहते हरितम् । गारुत्मतं मरकतमश्मगर्भो हरिन्मणिः ॥ १८० ॥ गात्मत, मरकत, अश्मगर्भ, हरिन्मणि यह पन्नेके नाम हैं। इसको फारसी में जुमईद और अंग्रेजीमें Emerald कहते हैं ॥१८॥ माणिक्यम् । माणिक्यं पद्मरागः स्याच्छोणरत्नं च लोहितम् । माणिक्य, पद्मराग, शोणरश्न और नोहित यह माणिकके नाम हैं। इसे फारसी में साल वदपथानि और अंग्रेजीमे Tapuby कहते हैं। पुष्परागः। पुष्परागो मंजुमणिः स्यावाचस्पतिवल्लभः॥ १८॥ पुष्पराग, मंजुमणि, वाचस्पतिवल्लभ यह पुखराजके नाम हैं। इसे अंग्रेजी में Onyz कहते हैं । १८१ ॥ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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