SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (१९५) पिप्पलभेदः। . पारिशोन्यः पलाशश्च फलीशश्च कमण्डलुः ॥४॥ गर्दभांडः कन्दरालकपीतनसुपार्श्वकाः । पारिषो दुर्जरः स्निग्धः कृमिशुक्रकफप्रदः ॥५॥ फलेऽम्लो मधुरो मूले कषायः स्वादुमजकः । पारिशोन्य, पलाश, फनीश, कमण्डलु, गर्दभाण्ड, कन्दराल, कपीतन और सुपार्श्वक यह पारिस पीपन के नाम हैं। इसको हिन्दीमें पारि सपीपल, फारसी में येलासवेल्प और अंग्रेजी में Hiluxus कहते हैं। पारिसपीपल दुर्जर, स्निग्ध, फलमें अम्ल, मधुर, मूलमें कषाय, स्वादु मज्जावाला तथा कृमिरोग, शुक्र और कफको उत्पन्न करनेवाला है॥४॥५॥ . अश्वत्थभेदः । · नन्दीवृक्षोऽश्वत्थभेदः प्ररोही गजपादपः ॥ ६ ॥ स्थालीवृक्षः क्षीरितरुः क्षीरी च स्याद्वनस्पतिः । नन्दीवृक्षो लघुः स्वादुस्तिक्तस्तुवर उष्णकः ॥७॥ कटुपाकरसो ग्राही विषपित्तकफास्त्रजित् । नन्दीवृक्ष, अश्वत्थभेद, प्ररोही, गजपादप, स्थानीवृक्ष, क्षीरितरु, क्षीरी और वनस्पति यह वेलिया पीपलके नाम हैं । इसको हिन्दीमें बेलिया पीपल कहते हैं। नन्दीवृक्ष-हलका, स्वादु, तिक्त, कषाय, गरम, पाक और रसमें कटु, ग्राही तथा विष, पित,कफ और रक्तविकारोंको,जीतता है ॥६॥७॥ उदुम्बरः। उदुम्बरो जन्तुफलो यज्ञांगो हेमदुग्धकः ॥८॥. उदुम्बरो हिमो रूझो गुरुः पित्तकफास्रजित् । मधुरस्तुवरो वयोव्रणशोधनरोपणः ॥ ९॥ उदुम्बर, जन्तु कल, यज्ञांग और हेमदुग्धक यह गलर के नाम हैं । इसे
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy