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________________ ( १४८ ) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । पुष्पवर्गः ४. तत्रादौ कमलस्य नामानि गुणाश्च । वा पुंसि पद्मं नलिनमरविंदं महोत्पलम् । सहस्रपत्रं कमलं शतपत्रं कुशेशयम् ॥ १ ॥ पंकेरुहं तामरसं सारसं सरसीरुहम् । बिसप्रसून राजीव पुष्करां भोरुहाणि च ॥ २ ॥ कमलं शीतलं वण्य मधुरं कफ पित्तजित् । तृष्णादाहात्र विस्फोट विषवीसर्पनाशनम् ॥ ३ ॥ विशेषतः सितं पद्म पुंडरीकमिति स्मृतम् । रक्तं कोकनदं ज्ञेयं नीलमिंदीवरं स्मृतम् ॥ ४ ॥ धवलं कमलं शीतं मधुरं कफपित्तजित् । तस्मादरूपगुणं किंचिदन्यद्वक्तोत्पलादिकम् ॥ ५ ॥ कमलके नाम तथा गुणों को कहते हैं - पद्म शब्द पुंल्लिंग तथा नपुंसक दोनों में होता है । पद्म, नलिन, परविन्द, महोत्पल, सहस्रपत्र, कमल, शतपत्र, कुशेशय, पंकेरुह, तामरस, सारस, सरसो०ह, बिल प्रसून, राजीव, पुष्कर तथा अम्भोरुह यह कमके नाम हैं। इसको हिन्दी में कमल अंग्रेजीमें Lotus कहते हैं । कमल-शीतल, वर्णको उत्तम करनेवाला, मधुर कफ तथा पित्तको जीतनेवाला, तथा वास, दाह, रक्तविकार, विस्फोट, विष और विसर्प इनको नष्ट करनेवाला है । श्वेत कमलको पुण्डरीक, लाल कमलको रक्तम और नीने कमलको इन्दीवर कहते हैं । श्वेत कमल - शीतल, मधुर तथा कफ और पित्तको जीवनेवाला है । अन्य रक्तादि कमल इससे किचिन्न्यून गुणवाले हैं ॥ १--५ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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