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________________ ( १४२ ) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । सुवर्चला हिमा रूक्षा स्वादुपाका सरा गुरुः । अपित्तला कटुः क्षारा विष्टंभकफवातजित् ॥२९१॥ अन्या तिक्ता कषायोष्णा सरा रूक्षा लघुः कटुः । निहंति कफपित्तास्रश्वासकासारुचिज्वरान् ॥ २९२ ॥ विस्फोटकुष्ठमेहास्त्रयोनिरुक्कुमिपांडुताः । , सुवर्चला सूर्यभक्ता, वरदा, बदरा, सूर्यावर्त्ता, रविप्रोता यह सुवर्च - लाके नाम हैं। दूसरी ब्रह्मसुवर्चला होती है। सुवर्चला -शीतल, रूक्ष, स्वादुपाकी, दस्तावर, भारी, पित्त न करनेवाली, कटु बोर क्षार होती है। तथा विष्टम्भ, कफ और वातको जीतनेवाली है । ब्रह्मतुवर्चला कषाय, उष्ण, दस्तावर, रूक्ष, हलकी और कटु है तथा कफ, रक्तपित्त, श्वास, काल, अरुचि, ज्वर, विस्फोटक, कुष्ठ प्रमेह, रक्तविकार, योनिरोग, कृमि और पाण्डुरोगका नाश करती है। इसको हिंन्दीभाषा में हु हुल, फारसी में आफताब परस्त और अंग्रेजी में Suu flower कहते हैं ।। २९० -- २९२ ॥ वंध्याककोटकी । वंध्यraachi देवी कन्या योगेश्वरीति च ॥ २९३॥ नागारिर्नागदमनी विषकंटकिनी तथा । वंध्याककोटकी लघ्वी कफनुव्रणशोधनी ॥ २९४ ॥ सपदपहरी तीक्ष्णा विसर्पविषहारिणी । asranaकी, देवी, कन्या, योगेश्वरी, नागरी, नागदमनी और विषण्टा किनी यह बांझ ककोडेके नाम हैं। बांझककोडा- हलका, कफ नाशक, व्रणशोधक, सपदर्पनाशक, तीक्ष्ण, विसर्प और विषको हरनेवाला है। बांझककोडेकी बेल होती है। इसकी जडमेंसे कन्द निकलता और प्रायः वही सब काम आता है ।। २९३ ॥ २९४ ॥ Ako! Shrutgyanam
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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