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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (१०३) निवः। निंबः स्यात्पिचुमर्दश्च पिचुमंदश्च तितकः ॥ ९४॥ अरिष्टः पारिभद्रश्च हिंगुनिर्यास इत्यपि । निंबः शीतो लघुाही कटुपाकोऽग्निवातनुत् ॥१५॥ अद्यः श्रमतृट्कासज्वरारुचिकृमिप्रणुत् । व्रणपित्तकफच्छर्दिकुष्ठहल्लासमेहनुत् ॥ ९६ ॥ निंबपत्रं स्मृतं नेत्र्यं कृमिपित्तविषप्रणुत् । वातलं कटुपाकं च सर्वारोचककुष्ठनुत् ॥ ९७ ॥ नैम्बं फलं रसे तितं पाके तु कटुभेदनम् । स्निग्धं लघूष्णं कुष्ठध्नं गुल्मार्शःकृमिमेहनुत् ॥९८॥ निध, पिचुमर्द, पिचुमन्द तितक, परिष्ट, पारिभद्र, हिंगुनियास यह नीमके नाम हैं। इसे फारसी में ने नव और अंग्रेजी में Nimbtree कहते हैं नीम-शीतल, हल्की, ग्राही, पाकमें कटु, मग्नि और वातको नष्ट करनेवाली, हृदयको अप्रिय तथा भ्रम, प्यास, कास, ज्वर, अरुचि, कृमि, व्रण, पित्त, कफ, वमन, कुष्ठ, हल्लास और प्रमेहको हरनेवाली है। नीमके पत्ते नेत्रोंके लिये हितकारी, वातकारक, पाकमें कटु तथा कृमि, पित्त, विष, सब प्रकारकी अरुचि और कुष्ठको नष्ट करनेवाले हैं। नीमके फल- रसमें तिक्त, पाकमें कटु भेदन, स्निग्ध, उष्ण, कुष्ठन्न तथा गुल्म, अश, कृमि और प्रमेहके नाश करनेवाले हैं ॥ ९४-९८॥ ___महानिका। महानिंबः स्मृतो द्रेको रम्यको विषमुष्टिकः । केशमुष्टिर्निबरका कार्मुको क्षीव इत्यपि ॥ ९९ ॥ महानिंबो हिमो रूक्षस्तिको ग्राही कषायकः ।
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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