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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (९९) फूल-मधुर, तिक्त तथा कुष्ठ, कृमि, कफ, अर्श, विष, रक्तपित्त इनको दूर करनेवाला है। ग्राही तथा गुल्म और सूजनमें हितकारी है। पाकका दूध तित, उष्ण, स्निग्ध, लवण रसवाला और कुष्ठ, गुल्म, उदर इन रोगोंको हरनेवाला है तथा विरेचन कार्यमें श्रेष्ठ है ॥ ६८-७४ ॥ . सेहुंडः। सेहुण्डः सिंहतुण्डः स्याद्वजी वज्रद्रुमोऽपि च । सुधासमंतदुग्धा चस्नुस्त्रियांस्यात्स्नुही गुडा।७५॥ सेहुण्डो रेचनस्तीक्ष्णो दीपनः कटुको गुरुः । शूलामष्ठीलिकाध्मानकफगुल्मोदरानिलान् ॥७६॥ उन्मादमेदकुष्ठाशःशोथमेदोऽश्मणंडुताः। व्रणशोथज्वरप्लीहविषदूषीविषं हरेत् ॥ ७७ ॥ उष्णवीर्य स्नुहीक्षीरं स्निग्धं च कटुकं लघु । गुल्मिनां कुष्ठिनां चापि तथैवोदररोगिणाम् ॥७८॥ हितमेतद्विरेकार्थे ये चान्ये दीर्घरोगिणः । सेहुण्ड, सिहतुंड, वज्री, वज्रद्रुम, सुधा, समंवदुग्धा, स्नुक, स्नुही, गुडा यह थोहरके नाम हैं। इसे हिंदीमें थोहर, फारसीमें लादनाम, अंग्रेजीमें nilkhedge Prickly pear कहते हैं। थोहर-रेचन, तीक्ष्ण, दीपन, कटु, गुरु तथा शूल, आम, अष्ठीलिका, माध्मान, कफ गुल्म, उदर रोग, वायु, उन्माद, प्रमेह, कुष्ठ, अर्श, शोथ, मद, पथरी, पांडुरोग, व्रण, शोथ, प्लीहा, विष और दूषी विषको नष्ट करता है। थोहरका दूध-स्निग्ध, कटु, उष्णवीर्य, हल्का है तथा गुल्म कुष्ठ, उदर रोग, और दीर्घ रोगियों के विरेचनके लिये उनम गुणकारी है।७५-७८॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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