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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (७३) यह तथा रक्तके सम्पूर्ण नाम कुंकुमके हैं। इसे हिन्दीमें केसर अथवा केशर. फारसी में जाफरान और अंगरेजीमें Saffron कहते हैं। जो केशर काश्मीरमें उत्पन्न होता है वह सूक्ष्म, लाल तथा कमलके समान गन्धवाली होती है वह सर्वोत्तम है। जो केशर बाह्रीक देशमें उत्पन्न होती है वह पाण्डुरंगवालो, रेतकी पुष्पके समान गन्धवाली तथा सूक्ष्म होती है और वह केसर मध्यम है। जो केशर पारस देश में उत्पन्न होती है वह स्थूल कुछ पाण्डु वर्णमाली तथा मधुके समान गन्धवाली होती है और वह अधम है। कुंकुम-कटु स्निग्ध, तिक्त, बमनको हरनेवाला, मणको उत्तम करनेवाला तथा शिरके रोग, व्रण, कृ मे, व्यंग और त्रिदोषको नष्ट करनेवाला है॥७४-७८॥ गोरोचना। गोरोचना तु मांगल्या वंद्या गौरी च रोचना । गोरोचना हिमा तिक्ता वश्या मंगलकांतिदा ॥७९॥ ' विषालक्ष्मीग्रहोन्मादगर्भस्रावक्षतास्रजित् । .. गोरोचना, मांगल्या, वन्द्या, गोरी और रोचना यह गोरोचनके संस्कृत नाम हैं । इसे हिन्दीमें गोरोचन, फ़ारसीमें गायरोहन तथा अंग्रेजीमें Gallstone Bijoor कहते हैं । गोरोचन-शीतल, तिक्त, वंशमें करने वाली, मंगल और कान्तिको करनेवाली तथा विष, अलक्ष्मी, ग्रह, उन्माद, गर्भस्त्राव, क्षत तथा रक्त विकारोको जीतती है॥७९ ॥ . नखम् । नखं व्याघनखं व्याघ्रायुधं तच्चक्रकारकम् ॥ ८॥ नखं स्वल्पं नखी प्रोक्ता हनुईट्टविलासिनी। नखद्वयं ग्रहश्लेष्मवातास्त्रज्वर कुष्ठनुत् ॥ ८१॥ UML
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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