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________________ ૧૩૭ - तीर्थ यात्रोत्सव प्रभावाविर्भूत श्रीमदेवाधिदेव प्रासादासादित संघाधिपत्येन सत्सुकयकुल नभस्तल प्रकाशनेक भार्तंडमहा राजश्रीला देव भूः अस्तंभन कपूर स्तंभतर्थिदर्भवतत्रिक प्रमुख नगरेषु तथा अन्समस्तस्थानेष्वपि कोटिशो अविनत्र धर्म स्थानानि प्रभूत जीर्णाद्वारा वकारिताः तथा सविवेश्वर श्री वस्तुपालन इस्वयं निमार्पित श्री शत्रुंजय महा तीर्थावतार श्रीमदादि तिर्थकर ऋषभदेव रुंहनक पुरावतार श्री पार्श्वनाथदेव भत्य पुरावतार श्री महावीरदेव प्रशस्ति सहित कस्मिरावतार श्री सरस्वती मूर्तिदेव कुलिका चतुष्टय जिनयुगल अश्वाव लोकना साख प्रयुक्त शिखरेषु श्री नेमिनाथ देवालंकृत देवकुलिका चतुष्टय दुर्गाविरुद्ध स्वपितामह श्री सो. मनिजात्री ठा० आसाराज मूर्तिद्वितय चारु दोरण त्रय श्री विनय देव आत्मीय पूर्व जाग्रजानुज पुत्रादि मूर्ति समन्वित मुखोद्घाटनकस्तंभ श्री अष्टापद महातीर्थ प्रभृति अनेक कीर्तन परंपरा विराजते श्री नेमिनाथ देवाधिदेव विभूषित श्रीमत् उज्जयंत महातीर्थे आत्मनस्तथा स्वधर्मं चारिणो प्राघाट ज्ञातीय डा. काहड पुत्र्याः ठा पानकुझि संभूताया महं श्री ललिता देव्या अथो विनिहि श्री नागेंद्र गच्छे महारक श्री महेंद्रसूरि संताने शिव श्री शांतिसूरे शिष्य श्री आनंदसूरि श्री अमर सूरि पदे भट्टारक श्री हरिभद्रसूरि पद्यलंकरण प्रहु श्री विजयसेनसूरि प्रतिष्ठित श्री अजितनाथ देवादि विंशति तीर्थकरालंकृतीय अभिनवस मंडप श्री संमेतशिखर महा तीर्थवितार प्रासादः कारितः इत्यादि. Aho ! Shrutgyanam
SR No.034196
Book TitleGirnar Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatchand Parshottamdas
PublisherJain Patra
Publication Year1910
Total Pages274
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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