SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [५७ ] " जाय तो झट स्नान करने लगजाते हैं । ऐसी " वृत्ति लोगेांकी उस समयसें बांधी हुई आज प. "यत चली जा रही हैं ). ( देखो कुमारपाल चरित्र हिन्दीकी-और कुमारपाल द्वाश्रयकी प्रस्तावना ). राजस्थानके कर्ता-कर्नल-टोड-साहिब को चितौडके किलेमें राजा लक्ष्मणसिंडके मंदिर में एक शिलालेख मिला था. जो कि-संवत १२०७ का लि. खा हआ था उसमें महाराज कुमारपालके वियों लिखा है कि-महाराजा कुमारपालने अपने प्रबल प्रतापसे सब शत्रुओंकों दल दिया जिसकी आज्ञाकां पृथ्वीपरके सब राजाओने अपने मस्तकपर चढाईथी। जिसने साकंभरी पति को अपने चरणों में नमाया था । जो खुद हथियार पकडकर सपादलक्ष (देश) तक चला गया था. सब गढ पतियोंको नमाया. था सालपुर ( पंजाब ) को भी वश किया था। . (वेस्टर्न इंडिया टाड कृत ) फारबस साहिबने कितनेक कुमार पाल के समयके Aho! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy