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________________ रख दिया तथा प्रतिदिन देखते [ ५९ ] किया जावेगा ? शाहने कहा कि जो इस वृक्षका करें वही मेरा भी करें, इस बातको सुन कर बादशाहने वहां अपने मनुष्योंको उनसे कह दिया कि तुम लोग रहना कि यह ( शाह ) आम्रवृक्षका क्या करता है। इसके बाद संग्राम सोनी प्रतिदिन वहां आकर अपने पहिरनेके वस्त्र के धोनेके जलसे उस आम्र वृक्षको सींचने लगा तथा उससे यह भी कहता रहाकि - हे आम्रवृक्ष यदि मैं स्वस्त्री - सन्तोष - व्रतमें दृढ चित्त हूंतो तुमको दूसरे आम्र वृक्षांसे पहिले फलना चाहिये, नहीं तो खैर । इस प्रकार उसने उस वृक्षको ६ मास तक सींचा और इतनेमें ही वसन्त ऋतु आ गया, तब यह आम्रवृक्ष ( और gaint अपेक्षा ) पहिले ही फूला और फला संग्राम सोनोने उसके फलेको वादशाह के सामने उपस्थित भेट कर दिया, बादशाहने कहाकि ये किस जागाके फल हैं ? तब शाहने कहा कि उस आम्रवृक्षके यह फल हैं, इस बातको सुन कर बादशाहने उन मनुष्यों से सब बात पूछी, तब उन लो Aho ! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
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