SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३२] और उसका छोटा भाई तेजपाल दृढ जैनधर्मी थे । इन्हाने १२ दफा बडे समारोह के साथ श्रीशत्रुञ्जय तीर्थकी यात्रा कीथी । तेरवींवार श्री शत्रुञ्जयतीर्थकी यात्रा करनेको जा रहेथे कि-रास्तेमें काठियावाढ प्रान्तमें लींबडीके पास “अंकेवाली" गाममें वस्तुपाल देवगत होगए । वस्तुपालके बनवाये आबुके जन मंदिरोंको देखने के लिये सहस्रों कोसांसे लोग आते हैं। अंग्रेज लोग फोटो उतार २ ले जाते हैं । ___ गुजरातके प्रभावशाली राजा भीमके प्रधान मंत्री विमलशाहने अगणित द्रव्य खर्चकर यहां जैन मंदिर बनवायाथा और उस मंदिरमें महाराजा संप्रतिके समयकी मूर्ति पधराकर विक्रम संवत् १०८८ मे प्रतिष्ठा करवाईथी। ___ उस मंदिरको देखकर महामंत्री वस्तुपालने शोभन नामक कारीगर (जो कि-उसवक्त सूत्रधा. रोमे आला दरजेका हुश्यार समझा जाताथा ) उसकां वैसाही मंदिर बना देनेका फरमान किया शोभनने अपनी मातहदके २००० कारीगरोंको लगाकर अपनी निगाहबानी रखकर विमलशाह Aho! Shrutgyanam
SR No.034195
Book TitleGirnar Galp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherHansvijay Free Jain Library
Publication Year1921
Total Pages154
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy